जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं कि मां दुर्गा का प्रत्येक रूप एक औषधि से भी संबंधित है। इसी क्रम में आज हम आपको बता रहें हैं मां दुर्गा के तीसरे रूप और उससे संबंधित औषधि के बारे में। जी हां, आज हम आपको नवरात्र में पूजित मां दुर्गा के तीसरे रूप और उससे संबंधित औषधि के बारे में बता रहें हैं। आपको हम बता दें कि मां दुर्गा का तीसरा रूप चंद्रघंटा देवी का है। इनको चमसूर या चंदुसूर भी कहा जाता है। चमसूर या चंदुसूर नामक एक पौधा भी होता है जो कि धनिये के सामान होता है।
इस पौधे की पत्तियों की सब्जी बनाई जाती है। इस पौधें को चर्महन्ति भी कहा जाता है। असल में यह पौधा मानव शरीर की चर्बी कम करता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसके अलावा यह पैदा मानव की शारीरिक शक्ति को भी बढ़ाता है तथा उसको ह्रदय रोग से भी दूर रखता है। उपर्युक्त प्रकार की शारीरिक परेशानियों से घिरे व्यक्ति को देवी चंद्रघंटा की उपासना करनी चाहिए।
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चंद्रघंटा देवी को मां दुर्गा का तीसरा रूप माना जाता है। देवी चंद्रघंटा के उपासक को बहुत इस दिव्य वस्तुओं का दर्शन करना होता है तथा दिव्य सुगंध का अनुभव होता है। इसके अलावा साधक को कई प्रकार की दिव्य ध्वनियों का भी ज्ञान होता है। इस देवी के सिर पर घंटे के आकार का आधा चंद्र होता है, इसलिए ही इनको चंद्रघंटा नाम दिया गया है।
इस घंटे की ध्वनि से राक्षस और दानव आदि सभी कांपते हैं। देवी चंद्रघंटा की उपासना से साधक में वीरता, पराक्रम जैसे गुणों का विकास होता है। इसके अलावा साधक में विनम्रता तथा सौम्यता का भी विकास होता है। देवी चंद्रघंटा की उपासना से साधक सारे कष्टों से मुक्त होकर बहुत सरलता से मुक्ति का अधिकारी बन जाता है।