मां दुर्गा के 9 रूपों में से प्रत्येक रूप किसी न किसी औषधि से संबंधित है और इसी क्रम में हमने आपको पूर्व के मां दुर्गा के पांच रूप तथा उनसे संबंधित औषधियों के बारे में बताया है। आज हम आपको मां दुर्गा के छठे रूप तथा उससे संबंधित औषधि के बारे में यहां बता रहें हैं। आपको हम सबसे पहले यह बता दें कि मां दुर्गा का छठा रूप “देवी कात्यायनी” का कहलाता है। देवी कात्यायनी को ही अम्बिका या अम्बालिका भी कहा जाता है। देवी कात्यायनी से जो औषधि संबंधित है उसको “माचिका या मोइया” कहा जाता है। यह औषधि गले के विकार, पित्त तथा कफ से संबंधित बीमारियों को दूर करती है। यदि कोई व्यक्ति पित्त अथवा कफ की बीमारी से परेशान है, तो उसको इस औषधि का उपयोग करना चाहिए तथा मां कात्यायनी की उपासना करनी चाहिए।
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शास्त्रों के अनुसार देवी कात्यायनी ने कात्यायन ऋषि के घर में जन्म लिया था, इसलिए ही उनका नाम “कात्यायनी” पड़ा। नवरात्र के छठे दिन इनकी उपासना भक्त बहुत श्रद्धा तथा विश्वास से करते हैं। मां कात्यायनी चार भुजाधारी व शेर पर सवार हैं। उनका शरीर सोने की तरह से चमकीला है। इस मंत्र का जप कर भक्त लोग देवी कात्यायनी की उपासना करते हैं।
“चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना|
कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि||”
आपको हम जानकारी के लिए बता दें कि देवी कात्यायनी की साधना में साधक को “मधु” यानि शहद का उपयोग करना चाहिए तथा खाद्य पदार्थ के रूप में भी शहद का प्रयोग करना चाहिए। देवी कात्यायनी की साधना में मधु का काफी महत्त्व बताया गया है। शिक्षा प्राप्ति के लिए प्रगतिशील विद्यार्थियों को देवी कात्यायनी की उपासना विशेष रूप से करनी चाहिए।