नवरात्र चल रहें हैं और इसी क्रम में आज हम आपको बता रहें हैं मां दुर्गा के 9 रूपों से संबंधित 9 औषधियों के बारे में। अब आप पढ़िए मां दुर्गा के चौथे रूप कुष्मांडा और उससे संबंधित औषधि के बारे में। जी हां, आज हम आपको मां दुर्गा के चौथे रूप कुष्मांडा और उससे संबंधित औषधि के बारे में यहां बता रहें हैं। आपको हम बता दें कि नवदुर्गा में कुष्मांडा देवी मां दुर्गा का चौथा रूप है और इससे संबंधित औषधि “पेठा” माना जाता है जो कि एक खाद्य पदार्थ भी है। आपको हम बता दें कि पेठे को “कुम्हड़ा” भी कहा जाता है। पेठा खाने वाले व्यक्ति को कभी रक्त विकार नहीं होता तथा साथ ही उसको कभी पेट से संबंधित बीमारियां भी नहीं होती हैं। पेठा वीर्यवर्धक तथा पुष्टिकारक होता है। मस्तिष्क रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए पेठा अमृत के सामान होता है। साथ ही यह ह्रदय रोगी के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। पेठा पित्त, गैस तथा रक्त के सभी विकारों को दूर कर मानव को समस्त रोगों से मुक्त करता है। यदि कोई व्यक्ति उपर्युक्त बीमारियों से पीड़ित है तो उसको पेठे का सेवन करना चाहिए, साथ ही देवी कुष्मांडा की उपासना करनी चाहिए।
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देवी दुर्गा के चौथे रूप का नाम कुष्मांडा क्यों पड़ा इस बारे में हम आपको बता दें कि मंद यानि धीमे स्वर में अपनी हंसी से ब्रह्मांड की रचना करने के फलस्वरूप ही देवी दुर्गा के चौथे रूप का नाम “कुष्मांडा” पड़ा है। जब ब्रह्मांड नहीं था तब इस शक्ति ने ही अपनी मंद हंसी से पूरे ब्रह्मांड की रचना की थी, इसलिए ही इनको आदि शक्ति भी कहा जाता है। देवी कुष्मांडा की अष्टभुजा हैं तथा इनका वाहन शेर है। ये सूर्यलोक के भीतर निवास करती हैं। नवरात्र के चौथे दिन इनकी उपासना की जाती हैं। इनकी उपासना से उपासक को यश, बल तथा आयु के सहित सभी प्रकार के सुख मिलते हैं। देवी कुष्मांडा की उपासना की यह खासियत है कि ये बेहद ही सरल भक्ति तथा सेवा से ही प्रसन्न हो जाती हैं, इसलिए इनके उपासक को सुगमता से परमपद प्राप्त हो जाता है।