मौलवी मोहिद मोजार हैं सर्वधर्म सद्भाव की मिसाल, कोई कहता हैं महात्मा तो कोई मौलवी

-

हमारे देश में धर्म के नाम पर सद्भाव बिगाड़ने वालों की कमी नहीं हैं पर इन सब में कुछ लोग एक उजली किरण के समान कार्य करते हैं। आइये आज आपको ऐसी ही एक शख्सियत से मिलवाते हैं जिनको कई लोग महात्मा कहते हैं तो कई मौलवी। इनका असली नाम हैं “मौलवी मोहिद मोजार“।

वर्तमान में ये अपने सर्वधर्म स्वभाव के कारण काफी चर्चा में हैं। इनके लिए नमाज तथा भजन एक समान हैं। ये मानते हैं कि सनातन धर्म तथा इस्लाम में से कोई भी हिंसा करने का आदेश नहीं देता, बल्कि दोनों ही धर्म लोगों की सहायता और सभी को प्रेम देने का मूलमंत्र बताते हैं। यही कारण की मौलवी मोहिद को उनके इन्हीं विचारों के कारण हिंदू लोग महात्मा कहते हैं तो मुस्लिम लोग मौलवी साहब।

this islamic guru spreading harmony among all the religions 1image source:

मोहिद मोजार साहब एक गरीब मुस्लिम परिवार में पैदा हुए थे। उनमे एक खास बात थी जो उन्हें दुसरो से अलग बनाती थी और वह यह थी कि मोजर साहब सभी धर्मों के लिए एक जैसे विचार रखते थे। आज भी वह अपने पास आने वाले लोगों में समानता तथा सभी के प्रति परोपकारी रहने का पैगाम देते हैं। मौलवी साहब बताते हैं कि सर्वधर्म सद्भाव की शिक्षा उनके दादा दासू अंसारी साहब ने उन्हें दी थी और उनके बाद उनके पिता ने भी उन्हें इसी रास्ते पर चलने के लिए कहा। वे बताते हैं कि इस रास्ते पर चलने में उनकी पत्नी बेगिया खातून उनका खूब साथ देती हैं। मौलवी साहब का मानना हैं कि अगर मुस्लिम लोग घर में नमाज की नियामत रखते हैं तो हिन्दू भी ईश्वर के नाम का सिमरन करते हैं। अगर हम लोग मस्जिद जाते हैं तो वह मंदिर जाते हैं।

this islamic guru spreading harmony among all the religions 2image source:

मौलवी मोहिद मोजार का परिवार बाराहाट प्रखंड के औराबारी गांव में स्थित सत्संग भवन में सत्संग का कार्य भी करता हैं। ये लोग संगीत उपकरणों पर भजन गाकर हिंदू देवी-देवताओं की महिमा का गुणगान करते हैं। मौलवी मोहिद तथा उनके परिवार के अन्य सदस्यों को मुस्लिम धर्म के साथ साथ अन्य धर्मों के धार्मिक प्रोग्रामों में शामिल होने की वजह से कई प्रकार की परेशानियां झेलनी पड़ी थी। मगर यह परिवार अपने असल रास्ते यानि सद्भाव से पीछे नहीं हटा। आज भी इस परिवार के सभी लोग अन्य सभी धर्मों के धार्मिक कार्यक्रमों में जाकर समानता का पैगाम देते हैं। मौलवी मोहिद कहते हैं कि यदि सभी धर्म एक दूसरे का आदर करना सीख लें तो असमानता दूर होने में समय नहीं लगेगा।

shrikant vishnoi
shrikant vishnoihttp://wahgazab.com
किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

Share this article

Recent posts

Popular categories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent comments