सांप को हमेशा सभी ने रेंगते हुए ही देखा है। लोगों के दिमाग में अक्सर यह सवाल उठा ही होगा कि यह इस प्रकार रेंगते हुए काफी तेज रफ्तार से दौड़ जाता है तो सांप के पैर क्यों नहीं होते। इस प्रकार के सवालों को लेकर कई शोध किए गए। वैज्ञानिकों ने 90 लाख साल पुराने सांप के अवशेष का अध्ययन कर इस सवाल का जवाब ढूंढ़ ही लिया है।
वैज्ञानिकों ने आधुनिक सांपों और पुराने सांप के अवशेष के सीटी स्कैन का तुलनात्मक अध्ययन किया। इससे पता चला कि वर्तमान में सांपों के पैर न होने के पीछे उनके पूर्वज जिम्मेदार हैं। वैज्ञानिकों ने 3 मीटर लंबी क्रेटेशियस सांपों की विलुप्त प्रजाति डिनिलिसया पैटागोनिका के कान की भीतरी हड्डी का सीटी स्कैन से परीक्षण किया।
जिससे यह पता चला कि आधुनिक सांपों के समान डिनिलिसया पैटागोनिका की गुहा (कैविटी) और नली (कैनाल) सांपों की सुनने की शक्ति को नियंत्रित करती थी।
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वैज्ञानिकों ने एक 3डी मॉडल की सहायता से जीवाश्म के कानों के अंदरूनी अंगों की तुलना आधुनिक सांपों के अंगों के साथ की। इसमें उन्होंने खोजा कि इनके कान में एक विशेष संरचना होती थी जो शिकार और शिकारियों का पता लगाने में मदद करती थी।
अब इस प्रकार की संरचना आज के आधुनिक सांपों में देखने को नहीं मिलती है। संरचना पानी और जमीन में रहने वाले आधुनिक सांपों में मौजूद नहीं है। एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के मुख्य शोधकर्ता होंग्यु यी के अनुसार, सांपों ने अपने पैर कैसे खो दिए यह लंबे समय से वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य रहा है। इस अध्ययन से हम अंदाजा लगा सकते हैं कि इसकी वजह सांपों के पूर्वजों का बिलों में रहना है।
अध्ययन के बाद इस बात को बल मिला है कि ज्यादातर बिल में रहने की वजह से सांपों को रेंगने की आदत पड़ गई और उन्होंने पैंरों का उपयोग करना बंद कर दिया। इस वजह से उनके पैर गायब हो गए। इन निष्कर्षों से वैज्ञानिकों को सांपों के विकास संबंधी जानकारी मिली।