हमारे भारत में ईश्वर के प्रति आस्था इतनी है कि वो पत्थर को भी भगवान बना देती है। जब इनके चमत्कार देखने को मिल जाए तो मानों साक्षात् भगवान के दर्शन हो गए हो। ऐसे में इस मूर्ति के प्रति आस्था और अधिक बढ़ जाती है। ऐसा ही एक मंदिर छत्तीसगढ़ में स्थित आलोर की एक पहाड़ी पर बना हुआ है। जो ‘लिंगाई माता मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। यहां पर होने वाले चमत्कार के कारण ये खास वजह से जाना जानें लगा है। आलोर गांव की गुफा में बने इस मंदिर में एक शिवलिंग है, और इसी जगह पर माता लिंग रूप में विराजी हुई है। शिव और शक्ति के दो रूपों से बना यह स्वरूप ही ‘लिंगाई माता’ के नाम से जाना जाता है।
लिंगाई माता या शिवलिंग
इस मंदिर की अंद्भुत संरचना से ही इसकी विशेषताओं के बारें में पता चल जाता है। एक छोटी-सी पहाड़ी के ऊपर एक विशाल पत्थर रखा हुआ है। जो बाहर से स्तूप-नुमा के आकार का दिखाई देता है। इस पत्थर की प्राकृतिक संरचना को अंदर से देखने पर प्रतीत होता है कि मानो किसी विशाल आकार के पत्थर को कटोरानुमा तराश कर चट्टान के ऊपर पलट दिया गया हो। इस मंदिर के दक्षिण दिशा में एक काफी संकरी सुरंग है, जहां जाने के लिए बैठकर या लेटकर ही प्रवेश करना पड़ता है। इसी गुफा के अंदर चट्टान के बीचों-बीच एक शिवलिंग बना है जिसकी ऊंचाई लगभग दो फुट की है और यह अपने आप में चमत्कारों से भरा पड़ा है, यहां के लोगों का मानना है कि पहले इसका आकार काफी छोटा था जो अब बढ़कर 3.2फीट का हो गया है।
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परम्परा और पुरानी धारणाओं के अनुसार मंदिर का द्वार साल में एक ही बार खुलता है और संतान-प्राप्ति की इच्छा रखने वाले लोग हजारों की संख्या में यहां पर जुटते हैं। इसी दिन यहां मेला लगता है। मंदिर भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन ही खोला जाता है।
मान्यतानुसार एक ही दिन इस मंदिक के द्वार खोले जाने के बाद इसे जब रात के समय बंद किया जाता है तो उस समय मंदिर के बाहरी सतह पर रेत बिछा दी जाती है। साल भर बाद जब मंदिर को खेला जाता है तो यहां पर इसके अगले साल बिझाई गई रेत पर जो चिन्ह मिलते हैं उसमें कुछ निशान दिखाई देते है, जो आने वाली बड़ी आपदा या खुशहाली के संकेत होते है। जैसे कमल का निशान-धन संपदा में बढ़ोत्तरी, हाथी के पांव के निशान- उन्नति, घोड़ों के पैर के निशान- युद्ध, बाघ के पैर के निशान- आतंक, बिल्ली के पैर के निशान- भय और मुर्गियों के पैर के निशान- अकाल जैसी चीजों के होने का संकेत देते हैं। इस प्रकार से लिंगी माता आने वाली आपदा की भविष्यवाणियां करती है।