किसी भी मानव की अफलता उसके अपने ऊपर ही निर्भर करती है ऐसा सुहास एलवाई ने सिद्ध कर दिखाया है, जिन्होंने आजमगढ़ के जिला कलेक्टर होते हुए तथा अपना एक पावं खराब होते हुए भी एशियन पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारत को गोल्ड मैडल दिलाया, आज हम आपको इन्हीं सुहास एलवाई नामक व्यक्ति से आपका परिचय करा रहें हैं।
जैसा की आप जानते ही हैं कि उत्तर प्रदेश का आजमगढ़ एक संवेदनशील जिला है और इसी जिले में कलेक्टर हैं सुहास एलवाई। हम आपको यह भी बता दें कि उनका पैर सामान्य नहीं है, लेकिन सुहास ने आजमगढ़ जैसे संवेदनशील जिले का कलेक्टर होते हुए और खुद एक पैर से असहाय होते हुए भी भारत को चीन में हुए पैरा ओलम्पिक में जो गोल्ड मैडल दिलाया है उसको उनकी प्रतिभा और देश के प्रति कुछ कर गुजरने की इच्छा ही कह सकते हैं। आपको हम यह भी बता दें कि उनकी इस समफलता की सूचना उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने न सिर्फ ट्विटर पर शेयर कर सभी को दी बल्कि सुहास को उत्तरप्रदेश का अहम पुरूस्कार “यश भारती” भी प्रदान किया।
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एशियन पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप का आयोजन पिछले वर्ष नवंबर में चीन के बीजिंग में किया गया था और इसमें भारत की ओर से शामिल हुए सुहास ही मात्र एक ऐसे खिलाड़ी थे जो की पेशेवर नहीं थे, परंतु फिर भी सुहास ने 6 मैच जीते और फाइनल में पहुंचे। उन्होंने इसके फाइनल मैच में इंडोनेशिया के हैरी सुशांतो को हरा कर भारत के नाम एक स्वर्ण पदक किया। सुहास वैसे तो एक प्रशासनिक अधिकारी हैं परंतु फिर भी वे बैडमिंटन के अच्छे खिलाड़ी कैसे हैं, इस बारे में बताते हुए सुहास ने कहा कि “व्यक्ति जिंदगी में कितना भी व्यस्त क्यों न हो, अपनी सबसे प्रिय चीज के लिए समय निकाल ही लेता है। ठीक उसी प्रकार से मैं भी इस बैडमिंटन खेल के लिए थोड़ा समय निकाल लेता हूं।”
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सुहास खेलों के प्रति अपने बढ़ते रुझान का श्रेय अपने पिता को देते हैं, वे कहते हैं कि बचपन से ही एक पैर ठीक न होने के बावजूद उनके पिता ने उनका उत्साह खेल और पढ़ाई दोनों की ओर बढ़ाया है। एक जिलाधिकारी रहते हुए अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारत को गोल्ड मैडल दिलाने का यह शायद पहला मामला था, सुहास वर्तमान में भी सुखदेव पहलवान स्पोर्ट्स स्टेडियम में रोजाना खेलने के लिए जाते हैं। सुहास कहते हैं “ज़िलाधिकारी रहते हुए ये उपलब्धि हासिल करने वाला मैं पहला व्यक्ति हूं, ये तो मुझे नहीं पता, लेकिन मैं चाहता हूं कि ऐसा और लोग भी करें।”, देखा जाए तो सुहास उन सभी लोगों के लिए एक उदहारण है जो किसी भी प्रकार की समस्या को लेकर आगे बढ़ने से घबराते हैं, सुहास की सफलता को देखकर अब अन्य अधिकारी भी खेलों में रूचि लेने लगे हैं।