प्रशासनिक सेवा के क्षेत्र में आने का सपना ज्यादातर युवाओं का होता है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि इस क्षेत्र में पैसे के साथ-साथ शानो शौकत और रुतबा भी बहुत मिलता है। लाल बत्ती लगी गाड़ी में आने-जाने की तो शान ही कुछ अलग होती है, लेकिन कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जिनके लिए इस रुतबे से ज्यादा जरूरी उनके क्षेत्र की जनता और उनकी समस्याएं होती हैं। कुछ ऐसी ही हैं छत्तीसगढ़ के कोंडागांव की जिलाधिकारी शिखा राजपूत तिवारी।
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डीएम शिखा का मानना है कि क्षेत्र की जनता परिवार ही नहीं संतान की तरह होती है। उनकी समस्याओं का निपटारा करना उनकी प्राथमिकता है। जरूरी नहीं कि सरकार की तरफ से मदद मिले तभी वह जनहित के काम करेंगी। आपको बता दें कि शिखा राजपूत तिवारी छत्तीसगढ़ के कोंडागांव की जिलाधिकारी हैं। यह इलाका पूरी तरह से नक्सल प्रभावित है। साथ ही बीते कुछ समय पहले कोंडागांव जिला सूखा ग्रस्त था। यहां के लोगों की परेशानी जिलाधिकारी शिखा राजपूत से देखी नहीं गई और उन्होंने इसे गंभीरता से लिया। खास बात यह रही कि शिखा ने सरकारी मदद का इंतजार किए बिना यहां के लोगों के साथ मिल कर समस्या से निपटने की पहल कर दी। डीएम ने खुद जिले के लोगों से श्रमदान के लिए आगे आने को कहा। पहले तो लोग तैयार नहीं हुए लेकिन जब उन्हें सही तरह से डीएम की मंशा समझ आई तो वह श्रमदान के लिए राजी हो गए।
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डीएम शिखा ने बताया कि शरू-शुरू में जब तालाब की सफाई हो रही थी तो ग्रामीण श्रमदान करने से कतरा रहे थे। सबसे बड़ी मुश्किल यहां के लोगों का विश्वास जीतना था, लेकिन काफी मशक्कत के बाद यह राह भी आसान हो गई। उन्होंने खुद तालाब में उतर कर जलकुंभी साफ की। यह सब देख लोगों का विश्वास उनके प्रति और बढ़ा। आज स्थिति यह है कि तीन सौ से ज्यादा लोग प्रतिदिन इस कार्य के लिए करीब पांच घंटे श्रमदान करते हैं।
यही नहीं आपको बता दें कि इस इलाके में आदिवासी लोग ज्यादा हैं। अभी भी ज्यादातर लोग खुले में शौच जाते हैं। डीएम शिखा ने इस समस्या को दूर करने के लिए एक टीम गठित की है, जो निगरानी कर लोगों को खुले में शौच करने से रोकती है।