महाप्रलय पर बहुत सी भविष्यवाणी अब तक हो चुकी हैं। तरह-तरह के कयास यदा कदा आज भी लोग लगाते रहते हैं, पर महाप्रलय कब आएगा और कैसे आएगा इसकी अभी तक कोई सही जानकारी नहीं हैं। उस दिन के बारे में सोचकर डर लगता है जब धरती पर महाप्रलय जैसी कोई भयानक विपत्ति आएगी। बहुत से सवाल मन में एकाएक खड़े हो जाते हैं। सबसे ज्यादा यह सवाल पूछा जाता है कि क्या तब इंसानियत का अस्तित्व मिट जाएगा? ऐसे बहुत से सवालों पर विश्व भर के साइंटिस्ट लगातार खोज कर रहे हैं। धरती के अस्तित्व को बचाने के लिए साइंटिस्ट्स ने नॉर्वे में नॉर्थ पोल के पास डूम्स डे वॉल्ट (कयामत के दिन की तिजोरी) बनाई है।
क्या है यह डूम्स डे वॉल्ट-
यह डूम्स डे वॉल्ट नामक तिजोरी नॉर्वे और नॉर्थ पोल के पास सेवलबार्ड आर्केपेलेगो पर डूम्स डे वॉल्ट 2008 में बनाई गई है। इस वॉल्ट में दुनिया के करीब सभी देशों के 8 लाख 60 हजार फसल के बीज, फलियां, गेहूं और चावल के सैम्पल (सीड बैंक) जमा किए गए हैं। न्यूक्लियर वॉर, महामारी, प्रलय जैसी स्थिति के बाद धरती पर खेती की दोबारा शुरूआत करने के लिए वॉल्ट मदद करेगी। वॉल्ट कभी नहीं खोली जाती। बीते हफ्ते दो नए बीज की खेप जमा की गई थी, तब रॉयटर्स एजेंसी ने इसकी रेअर फोटोज जारी की। गेट्स फाउंडेशन और अन्य देशों के अलावा नॉर्वे गवर्नमेंट ने वॉल्ट बनाने के लिए 60 करोड़ रुपए दिए थे।
Image Source: http://newshour-tc.pbs.org/
क्या है खास-
धरती के 13 हजार साल पुराने एग्रीकल्चर हिस्ट्री को दोहराने के लिए वॉल्ट में आठ लाख 25 हजार बीज जमा किए गए। ग्रे कॉन्क्रीट का 400 फुट लंबा टनल माउंटेन में बनाया गया है। बिजली जाने के बाद भी वॉल्ट में 200 साल तक बीज बर्फ में जमे रह सकते हैं। यूएस सीनेटर के अलावा सिर्फ यूएन जनरल सेक्रेटरी बान की मून को यहां जाने की इजाजत है।
सीरिया में हुआ सबसे पहले इस्तेमाल-
डूम्स डे वॉल्ट का इस्तेमाल करने वाला सीरिया पहला देश था। सिविल वॉर के दौरान सूखे इलाकों में अनाज की कमी हो गई थी, ऐसे में पहली बार वॉल्ट का इस्तेमाल किया गया। हजारों की तादाद में बीज सीक्रेट शिपमेंट के जरिए मोरक्को और लेबनान भेजे गए थे। गेहूं, जौ और दालों के 38 हजार सैम्पल भेजे गए थे, लेकिन जंग के वजह से इसका पूरा इस्तेमाल नहीं हो सका।