यदि हम अपने आसपास के बच्चों को ध्यान से देखें तो पायेंगे के वह अपना ज्यादा समय खेलकूद और मनोरंजन में लगाना चाहते हैं। स्कूल से आने के बाद भी अधिकतर बच्चे अपने दोस्तों के पास खेलने चले जाते हैं या फिर अपनी किसी पसंदीदा कार्टून को टीवी पर देखने में व्यस्त हो जाते हैं। वहीं दूसरी और लखनऊ के 11 वर्षीय आनंद कृष्ण मिश्रा आम बच्चों से हट कर हैं, वो कार्टून या गेम खेलने के बजाय एक स्कूल चलाता हैं। जी हां, आनंद इतनी कम उम्र में ही एक शिक्षक के रूप में करीबन 100 बच्चों को पढ़ाता है। आनंद के इस स्कूल को “बाल चौपाल” के नाम से जाना जाता है और आनंद को बच्चे “छोटा मास्टर” कहते हैं। आनंद हर शाम 5 बजे यह बाल चौपाल लगाता है और लगभग 100 बच्चों को पढ़ाता है।
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‘बाल चौपाल’ की खासियत यह है की यहां सिर्फ किताबी पढ़ाई ही नही कराई जाती है बल्कि बच्चों को नैतिक शिक्षा का अध्यन भी कराया जाता है। बाल चौपाल की शुरुआत “हम होंगे कामयाब” गीत के साथ होती है और अंत हमेशा “राष्ट्र गान” के साथ होता है।
अपनी सेवा के लिए 7वीं कक्षा के इस विद्यार्थी को ‘सत्यपथ बाल रत्न अवार्ड’ और ‘सेवा रत्न अवार्ड’ से नवाज़ा जा चुका है। इनका कहाना है कि इन्हें मुंबई के उस लड़के से प्रेरणा मिली है जो स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठ कर पढ़ा करता था।