बुलंद हौंसलों के आगे हर मुश्किल आसान हो जाती है। अगर किसी पर कोई काम करने का जुनून सवार हो जाए तो वह हर काम को आसानी से हल कर सकता है। इस बात को हरियाणा के दीपक मलिक ने सच करके दिखाया है। दीपक मलिक ने एक हादसे में अपनी आंखों को खो दिया था, लेकिन इसके बाद भी उन पर क्रिकेट खेलने का जनून सवार था। उन्होंने आंखों की रोशनी न होने पर भी इसे अपनी कमजोरी नहीं बनाया और अपना पूरा ध्यान केवल क्रिकेट पर ही लगाया। बुलंद हौंसलों से दीपक ने क्रिकेट खेल भारत को कई बार जिताया है।
कहा जाता है कि जो अपनी मदद करना जानते हैं उनकी मदद खुदा भी करते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही क्रिकेटर के बारे में बताने जा रहे हैं। हरियाणा के रहने वाले दीपक मलिक को भले ही कम लोग जानते हों पर उनके हौंसले इतने बुलंद हैं जिसके दम पर उन्होंने ब्लाइंड क्रिकेट टीम में खेलते हुए भारत को कई बार जिताने में मदद की है। दीपक मलिक बचपन से ही क्रिकेट खेलना चाहते थे, एक बार लेकिन दिवाली की रात एक हादसे में उनकी आंखों की रोशनी चली गई। इस हादसे के समय दीपक की उम्र महज आठ साल ही थी। आंखों के न होने पर भी दीपक का क्रिकेट खेलने का सपना टूटा नहीं। वह अपने इस सपने को पूरा करने में जुट गए और पहुंच गए दिल्ली के ब्लाइंड स्कूल में। यहां पर पहुंचकर दीपक ने क्रिकेट खेलना सीखा और स्कूल लेवल के बाद स्टेट लेवल पर खेलना शुरू किया। दीपक ने कई पारियों में खुद के खेल प्रदर्शन को साबित भी किया है। ऑल राउंडर दीपक इंडियन क्रिकेटर जहीर खान के साथ भी खेल चुके हैं। दीपक ब्लाइंड क्रिकेट में मात्र 17 में गेदों सबसे तेज 50 रन बनाने वाले खिलाड़ी भी हैं। दीपक ने एशिया कप और टी20 कप में भी भारत की ओर से ब्लाइंड क्रिकेट टीम में खेलकर खुद को हर बार साबित कर दिखाया है।