अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा सहित उनके तीन भाई हैं इस बैंक की देन

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बॉलीवुड अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा अपनी बेहतरीन अदाकारी के लिए जानें जाते हैं। कुछ दिन पूर्व बीएमसी ने उनके मुंबई स्थित बंगले में कार्यवाही की थी। आपको बता दें कि अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा का यह बंगला 8 मंजिला है और इसका नाम “रामायण” है। इस बंगले के नाम की तरह ही शत्रुघ्न सिन्हा के परिवार का आधार भी रामायण ही है। आज हम आपको अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा से जुड़ी कुछ ऐसी बातों को आपके साथ सांझा करेंगे जो आपने पहले कभी नही सुनी होंगी।

बैंक की कृपा से शत्रुघ्न के पिता को हुए थे चार बेटे –

बैंक की कृपा से शत्रुघ्न के पिता को हुए थे चार बेटे Image source:

सबसे पहले हम आपको बता दें कि शत्रुघ्न सिन्हा के पिता भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा तथा माता श्यामा देवी ने एक बैंक से कर्ज लिया था। उसी कर्ज के आशीर्वाद के फलस्वरूप उनको चार बच्चे हुए थे। इस बैंक का नाम है “राम रमापति बैंक”, यह बैंक 1926 में खुला था। इस बैंक में कोई भी व्यक्ति मन्नत मांगने के लिए अपना निःशुल्क खाता खुलवा सकता है। बैंक की ओर से आवेदनकर्ता को एक पेन तथा एक खास कागज़ दिया जाता है। जिस पर एक वर्ष में सवा लाख बार राम नाम लिखना होता है। यह राम नाम का अनोखा बैंक वाराणसी की त्रिपुरा भैरवी गली में स्थित है और यहां पर कई देशों के बहुत से लोगों के खाते हैं।

इस बैंक में मांगी जाने मन्नत होती है पूरी –

इस बैंक में मांगी जाने मन्नत होती है पूरीImage source:

राम रमापति बैंक के प्रमुख सेवाकर्ता विकास मल्होत्रा शत्रुघ्न सिन्हा की मां के द्वारा यहां मन्नत मांगने के विषय में बताते हुए कहते हैं कि “शत्रुघ्न सिन्हा के माता पिता ने यहीं से रामनाम का कर्ज लिया था। उसी कर्ज के फलस्वरूप उनको चार बच्चे हुए थे। उनका परिवार अक्सर धार्मिक यात्रा पर काशी आता रहा है। प्राइवेसी के कारण हम किसी की ज्यादा डिटेल नहीं दे सकते हैं। शत्रुघ्न सिन्हा की मां ने यहां चार बच्चों की मन्नत मांगी थी और साल भर बाद ही वे मां बन गई। उनके कुल चार ही बच्चे हुए। राम नाम के कारण ही उनके चार बच्चे हुए थे। इसी कारण उन्होंने अपने चारों बच्चों का नाम राम, लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न रखा।” आपको बता दें कि अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा की ऑटोबायोग्राफी “Anything But Khamosh” में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि शत्रुघ्न सिन्हा के माता पिता अपने सभी बच्चों को इस खास बैंक की कृपा ही मानते थे।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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