आज अधिकतर लोगों को दिल की बीमारी की परेशानी है। इसका मुख्य कारण है हमारा अनहेल्दी लाइफस्टाइल और अनियमित समय पर खाना। इस परेशानी के चलते अधिकतर लोग तनाव ग्रस्त रहते है। अगर आप भी उन्हीं में से एक हैं तो आपकी इस परेशानी हल अब आ गया है। दरअसल रुड़की में भारत के प्रोद्योगिकी संस्थान के कंप्यूटेशनल ग्रुप द्वारा एक नई मोबाइल एप बनाई गई है। यह एप मरीज के हार्ट से जुड़ी कैसी भी परेशानी, उदारहण के तौर पर हार्ट फेल होने की स्थिति में खुद ही उस व्यक्ति को तथा उसके डाक्टर को सतर्क कर देगी। इस एप के इस हाइटेक फिचर की मदद से समय रहते उस व्यक्ति का इलाज हो पाएगा। इसे विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. दीपक शर्मा के नेतृत्व में कंप्यूटेशनल बायोलॉजी ग्रुप ने तैयार किया है और उन्होंने इसे धड़कन नाम दिया है।
1- इस तरह काम करती है एप
Image source:
इस के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक यह एप आपके शरीर में होने वाले छोटे से बदलाव को भी बेहद जल्द पकड़ लेती है। यह शरीर के रक्तचाप, ह्रदय गति में बदलाव, वजन मे बदलाव आना इत्यादि को डिटेक्ट कर इसके संकेत कुछ ही सेकेंड में डाक्टर के पास पहुंचा देती है। एक गणना के मुताबिक आज देशभर में करीब 1 करोड़ लोग इस प्रकार की परेशानी से ग्रस्त है। इन लोगों के लिए यह ऐपलिकेशन काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। इसका इस्तेमाल कर बहुत सी जानो का बचाया जा सकता है।
2- डाक्टर और मरीज के बीच का पुल
Image source:
डाक्टरों के मुताबिक जो लोग दिल से जुड़ी परेशानियां झेल रहें होते हैं, उनके दिल की गति और ब्लड प्रैशर में एक सप्ताह के भीतर 10 प्रतिशत बदलाव आ सकता है। ऐसे लोगों का वजन भी तेजी से घट या बढ़ सकता है। ऐसे में अपने शरीर के इन बदलावों की जानकारी वह शख्स इसकी मदद से अपने डाक्टर तक पहुंचा सकता है। आम भाषा में कहें तो इस एप की मदद से डाक्टर मरीज को पारम्परिक संचार की सुविधा दे सकता है, इससे स्थिति को अधिक गंभीर होने से भी रोका जा सकेगा। ।
3- दो छात्रों के दिमाग की है देन
Image source:
एक रिसर्च के मुताबिक अस्पतालों में जो मरीज हार्ट फेल होने के चलते दाखिल होते हैं उनमे से करीब एक तिहाई लोगों आने वाले तीन से छे महीनों के भीतर दोबारा अस्पताल में आना पड़ जाता है। ऐसे में इस प्रकार के लोगों के लिए यह बहुत लाभकारी साबित होगी, इसकी मदद से वह स्थिति बिगड़ने से पहले ही अस्पताल पहुंच कर उचित चिकित्सा ले पाएंगे। इसको बनाने के पीछे दो छात्रों की सोच थी। इस छात्रों का नाम सोमेश चतुर्वेदी और श्रेया श्रीवास्तव है। इसके निर्माण में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के प्रो. संदीप सेठ और गोपीचंद्रन ने भी अपना भरपूर सहयोग दिया। इस एप को कोई भी गुगल प्ले स्टोर पर जाकर फ्री में डाउनलोड कर सकता है।