ऐसी बदहाल जिंदगी जीने पर मजबूर हैं ये भारतीय खिलाड़ी

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खेल की बात करें, तो हमारे देश में ऐसे हुनरबाजों की कमी नहीं है जिन्होंने अपने हुनर और काबलियत के दम पर देश के गौरव को हमेशा बनाये रखा। जब भी इन हुनरबाजों को किसी भी खेल में खेलने का मौका मिला चाहे वो क्रिकेट हो या फिर ओलंपिक इन खिलाडियों ने जी जान एक कर जीत हांसिल की है और भारत को कई मेडल दिलाकर देश का गौरव बढ़ाया है, पर इस देश की बदकिस्मती समझे या लापरवाही इन लोगों के हुनर की कद्र ना करते हुये उन्हें बदहाली का जीवन जीने के लिये मजबूर कर दिया। यही चमकते खिलाड़ी गरीबी के अंधेरों में छिप

खोज रहें हैं एक नई तलाश…

क्रिकेट और ओलंपिक खेलों में अपना जौहर दिखाने वाले खिलाड़ियों को सरकार ने उनकी काबलियत के तौर पर इनाम तो दिए पर सुविधाएं कुछ नहीं अब गुमनामी के अधेरों में रहकर अपने पेट को पालने के लिये कोई खिलाड़ी दूध बेच रहा है तो कोई सड़क पर चाउमीन, तो कोई स्वर्ण पदक पाने वाला विजेता नकली सोने की ज्वैलरी बेच रहा है।

अगर आज सरकार इन महान खिलाड़ियों पर थोड़ा ध्यान देती तो देश के ये होनहार किसी अच्छे मुकाम पर दिखाई देते जैसे कि आज के खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर,गागुली…

भलाजी डामोर-

ये वो महानतम खिलाड़ियों में से एक है जिन्होंने 1998 में भारत में खेले जाने वाले 7 देशों के ब्लाइंड वर्ल्ड कप में अपना हुनर दिखाया था। इन्होंने इस विश्व कप में सबसे अधिक विकेट लेकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था। पर आज सरकार की तरफ से कोई सुविधायें ना दिये जाने के बाद इनका हुनर गरीबी के संघर्ष में दब कर कुचल दिया गया। यह खिलाड़ी गांव में मवेशियों को चराने का काम कर रहा है। जिससे ये अपना पेट भर सके।

नेत्रहीन भलाजी

36 वर्षीय नेत्रहीन भलाजी का नाम 1998 के ब्लाइंड विश्व कप के समय में काफी चर्चित हुआ था,जब उन्होनें हीरो बन विश्व कप के लगभग सभी मैचों में अच्छा हुनर दिखाया था। क्रिकेट के इसी जूनून को देखकर उन्हें राष्ट्रपति के.आर. नारायणन के द्वारा मैन ऑफ द सीरीज से नवाजा गया था, पर आज बदहाल जिंदगी में वो अपने घर के जेवर बेच कर अपना पेट पाल रहे है और देश के सोने के मेडल पाने वाले भलाजी के सामने सब पीतल की तरह दिख रहा है।

3_1463582258Image Source :http://i9.dainikbhaskar.com/

नेशनल लेबल की शूटर पुष्पा गुप्त

वडोदरा के वाघोडिया रोड में सड़क के किनारे चाइनीज फूड का ठेला लगाये खड़ी हैं । 21 साल की पुष्पा गुप्ता ये वो नाम है जिसने स्टेट और राष्ट्रीय लेवल पर राइफल शूटिंग के दौरान कई मैडल जीते थे एमएस विश्वविधालय में पढ़ाने वाली पुष्पा अपने परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण और सरकार द्वारा किसी भी तरह की मदद न मिलने के कारण चाइनीज खाने का ठेला लगाती हैं और अपने परिवार का पेट पालती है। सरकार के प्रति इनकी बेरूखी जायज है कि जिस लड़की ने देश का गौरव बढ़ाकर मेडल दिलानें में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की उसे ही सरकार ने इस स्थान पर रहने को मजबूर कर दिया। वडोदरा की सांसद रंजन बेन ने एक बार सहायता देने का वादा किया था फिर वो वादा आज तक वादा ही बनकर रह गया है।

5_1463582259Image Source :http://i9.dainikbhaskar.com/

42 वर्षीय पारुल परमार पैरा-

बेडमिंटन चैंपियन की महान खिलाड़ियों में से एक है जिसने 2004 से इंटरनेशनल लेवल खेलकर 25 मैडल और कई अवार्ड भारत की झोली में डाले थे। इसके अलावा वर्ल्ड चैंपियन का खिताब भी इनके नाम पर है। पर सरकार की और से इन्हें भी किसी प्रकार की सुविधाये ना मिलने के कारण ये गांधीनगर के पोस्टल विभाग में क्लर्क के रूप में कार्यरत हैं। पारुल की सरकार के तरफ की बेरूखी बताती है कि जिस तरह से सभी खिलाड़ियों की प्रतिभा को देखकर उन्हें इनाम और अवार्ड देकर प्रोत्साहित किया जाता है। पर पारुल जैसे खिलाड़ियों को कोई सुविधाये उपलब्ध नही करायी जाती जिससे की बाद में उनका हुनर दब कर ही रह जाता है। सरकार ने इस साल नई खेल के प्रति कई योजनाएं भी तैयार की है।

4_1463582259Image Source :http://i9.dainikbhaskar.com/

केतन पटेल

वलसाड के फालाद्र गांव में रहने वाले केतन पटेल का सितारा एक समय काफी जगमगाया था जब इन्होंने 2015 में खेले गये वन-डे और टी-20 क्रिकेट मैच में बेमिशाल जीत दिलाकर अपनी खास जगह बनाई थी। इस वन-डे मैच में वो मैन ऑफ द मैच के हकदार बने थे। आज वो अपने गांव में दूध बेचकर और खेतों में मजदूरी कर अपनी और अपने परिवार की जीविका चला रहा हैं। भारत को विश्व कप और दो बड़ी अंतराष्ट्रीय क्रिकेट सीरीज जिताने वाले केतन को सरकार द्वारा कोई सरकारी सहायता या नौकरी नहीं दी गई है। ना ही किसी भी प्रकार की मदद दी गई है।

2_1463582258Image Source :http://i9.dainikbhaskar.com/
Pratibha Tripathi
Pratibha Tripathihttp://wahgazab.com
कलम में जितनी शक्ति होती है वो किसी और में नही।और मै इसी शक्ति के बल से लोगों तक हर खबर पहुचाने का एक साधन हूं।

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