खाप पंचायतों के इतिहास में पहली बार लिए गए ये फैसले

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दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही है। वक्त और सोच बदल रही है। जिसको देखते हुए शायद अब देश की खाप पंचायतें भी अपनी छवि बदलने की कोशिश कर रही हैं। हमेशा अपने सख्त फरमानों के लिए सुर्खियों में रहने वाली खाप पंचायतें जिन्हें अब तक सिर्फ महिला विरोधी ही समझा जा रहा था वह अब महिलाओं से जुड़े मामलों में ऐसे फैसले ले रही हैं जो एक मिसाल कायम करेंगे।

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आप सभी को पिछले हफ्ते हरियाणा में बूरा खाप पंचायत द्वारा लिया गया एक फैसला याद होगा। जिसमें खाप ने एक नवविवाहित जोड़े को आदेश दिया कि वो अपनी शादी तोड़कर भाई-बहन की तरह रहें, क्योंकि उनके गोत्र भाईचारे में आते हैं। खापों के ये इस तरह के अजीबो गरीब फरमान समझ से परे होते हैं, लेकिन विवादों और असहमति की इस स्थिति में बूरा खाप पंचायत ने कुछ ऐसे भी फैसले लिए हैं जो सबको हैरान कर देने वाले हैं। जिससे शायद यह माना जा सकेगा कि दहेज प्रथा और कन्या भ्रूण हत्या को लेकर पंचायत सजग हो गई हैं।

खाप पंचायत के ये 4 अहम फैसले:

1.दो बेटियों के बाद संतान नहीं-
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लोगों में लड़कियों की जगह लड़कों की चाहत इस कदर हावी रहती है कि वे लड़कों की चाहत में लड़कियों को गर्भ में ही मार देते हैं। जिसका नतीजा ये हुआ कि 2011 की जनगणना के मुताबिक हरियाणा में 1000 पुरुषों पर सिर्फ 879 महिलाएं ही रह गईं हैं। ऐसे में खाप पंचायत ने कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम कसने के लिए एक समझदारी भरा फैसला किया है कि दो बेटियां हो जाने के बाद कोई संतान पैदा नहीं करेगा और जो लोग ऐसा करेंगे उन्हें खाप सम्मानित करेगी।

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2. दहेज में लेंगे सिर्फ 1 रुपया
आपको शायद ना पता हो, लेकिन यह सच है कि महिला अपराध के मामले में भारत में हरियाणा तीसरे स्थान पर आता है। इन अपराधों में दहेज के कारण प्रताड़ना और हत्या के मामले बहुत ज्यादा हैं। इसी कड़ी में खाप ने दहेज प्रथा को मात देने की एक कोशिश की है। उन्होंने फैसला किया है कि शादी में लड़की वालों से दहेज के नाम पर सिर्फ 1 रुपया ही लिया जाएगा।

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3. शादी का खर्च घटाया जाएगा
खाप ने शादियों में होने वाले खर्चों को लेकर भी एक फैसला दिया है। जिससे शादी के वक्त लड़की के मां-बाप पर शादी का बोझ कम पड़े। इसके लिए उन्होंने बारात में केवल 21 बाराती ही लड़की के घर लेकर जाने का फैसला दिया है।

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4. मृत्युभोज का बहिष्कार-
प्रदेश में किसी की मृत्यु पर शोक मनाने के लिए जाते समय सिद्धा ले जाने की परंपरा है। जिसे अब खाप ने खत्म करने का फैसला लिया है। खाप ने कहा है कि अब शोक मनाने जाते हुए कोई भी आटा, दाल व घी नहीं ले जाएगा। इतना ही नहीं खाप ने मृत्यु पर 13 दिन के बजाए 7 दिन का शोक मनाने का ऐलान किया है। ये भी फैसला किया है कि खाप का कोई भी सदस्य मृत्यु पर दिए जाने वाले भोज में शामिल नहीं होगा।
आपको बता दें कि ये सिर्फ हरियाणा की बूरा खाप पंचायत का फैसला है। अगर हरियाणा की बाकी पंचायतें भी बूरा खाप पंचायत के फैसलों की तरह ही इस तरह के फैसले ले लें तो इसमें कोई दो राय नहीं कि आने वाले समय में हरियाणा उदाहरण बन कर सबके सामने होगा।

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