ईश निंदा के कारण बैन हो गईं यह 5 किताबें

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कई ऐसी फ़िल्में बनी हैं जिन पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप लगा था और इन्हीं कारणों से इनमें से कई फ़िल्में बैन भी कर दी गईं थी। इसी प्रकार से कई ऐसी किताबें भी हैं जिन पर ईश निंदा का आरोप लगा है और यह किताबें कई देशों में बैन भी हो चुकी हैं। आज हम आपको बता रहे हैं ऐसी ही 5 किताबों के बारे में, जो ईश निंदा के आरोप में बैन हो चुकी हैं।

1- दा सैटेनिक वर्सेज (सलमान रुश्दी)-

लिट्रेचर फेस्टिवल, जयपुर में बीते गुरुवार से शुरू हो गया है। इस फेस्टिवल की खासियत यह है कि इसमें आप यहां आई पुस्तक के किसी भी लेखक से सीधे रूबरू हो सकते हैं। इस बार लिट्रेचर फेस्टिवल में प्रसिद्ध लेखक “सलमान रुश्दी” को भी इनवाइट किया गया है। इन पर अपनी एक किताब के जरिये ईश निंदा का आरोप है। सन् 2012 में सलमान रुश्दी ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर यहां आने से मना कर दिया था। उस समय कुछ धार्मिक संगठनों ने सलमान का विरोध भी किया था।

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2- नाइन हॉर्स टू रामा (स्टैनली वोलपर्ट)-

ये किताब महात्मा गांधी की हत्या पर आधारित थी। इस किताब को सन् 1962 में भारत सरकार ने बैन कर दिया था। इस किताब के ऊपर एक फिल्म का निर्माण भी हुआ था, जिसको भारत में बैन कर दिया गया था।

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3- रंगीला रसूल –

इसे आप भारत में बैन होने वाली पहली किताब कह सकते हैं। यह किताब 1927 में प्रकाशित हुई थी, जिसमें मुहम्मद साहब पर टिप्पणी की गई थी। यह किताब भारत के अलावा बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी बैन है।

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4- अंडरस्टैंडिंग इस्लाम थ्रो हदीस –

इस बुक में राजनीतिक इस्लाम पर चर्चा की गई थी। इस किताब को 1982 में प्रकाशित किया गया था, पर 1990 में इसको बैन कर दिया गया।

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5- द रामायण-

इस किताब को 1956 में भारत में बैन कर दिया गया था। इस किताब के लेखक आयरिश ओरिजन के थे, जिन्होंने इस किताब को अपनी भाषा में लिखा था।

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