अनोखी है इस महल की कहानी, रानी को खुश करने राजा ने तैयार किया ध्रुपद राग

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600 साल पहले बने ग्वालियर के ऐतिहासिक गूजरी महल में एक बार फिर से गूंजने वाला है संगीत सम्राट तानसेन का ध्रुपद राग..। इस राग को सुनाने के लिए इस जगह पर देश के बड़े-बड़े महान संगीतज्ञ उपस्थित होने जा रहें हैं, पर क्या आप जानते है कि ये ध्रुपद राग की शुरूआत कब और किसके द्वारा की गई थी। सदियों साल पहले यहां के राजा रहे राजा मान सिंह अपनी रानी मृगनयनी को खुश करने के लिए इन रागों का अविष्कार किया था। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी रानी को हमेसा खुश रखने के लिए मंगल गूजरी राग भी बनाया था। जानें इसकी खासियत के बारें में…

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आज से करीब 600 साल पहले ग्वालियर के राजा मानसिंह ने अपनी गूजरी रानी के लिए दुर्ग की तलहटी में एक विशाल महल का निर्माण करवाया था। गूजरी रानी की मनमोहक खूबसूरती के कारण उन्हें मृगनयनी का नाम दिया गया था। राजा मान सिंह को अपनी रानी के प्रति काफी प्रेम था, इसलिए उन्होंने सिर्फ रानी को प्रसन्न रखने के लिए शास्त्रीय संगीत के कई रागों के साथ ध्रुपद पदों की भी रचना की, और इसे आगे बढ़ाने का काम संगीत सम्राट तानसेन के द्वारा किया गया। राजा मान सिंह संगीत के बहुत बड़े ज्ञाता होने के काराण उन्होंने कई रागों का अविष्कार किया और इन्हीं रागों के साथ उन्होंने अपनी सुंदर रानी मृगनयनी की खुशी को बनाए रखने के लिए मंगल गूजरी की रचना की थी।

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बताया जाता है कि संगीत के शौकिन राजा मानसिंह ने इसी गूजरी महल में संगीत का स्कूल भी बनवाया था, जहां पर वो रोज नए-नए रागों का अविष्कार करके रानी को सुनाया करते थे। उन्होंने इस संगीत शाला में रहकर गणेश स्रोत संगीत सार, राग माला, दीपक राग राग मल्हार, जैसे कठिन रागों का अविष्कार किया। उनके द्वारा बनाए गये राग आज हर महान संगीतज्ञ की जुबान पर रहते है और बड़े-बड़े समारोह में गाए भी जाते हैं।

Pratibha Tripathi
Pratibha Tripathihttp://wahgazab.com
कलम में जितनी शक्ति होती है वो किसी और में नही।और मै इसी शक्ति के बल से लोगों तक हर खबर पहुचाने का एक साधन हूं।

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