डिजनी की बच्चों के लिए बनाई गई फिल्म ‘द जंगल बुक’ आज रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म को देखने के लिए ना जाने कितने बच्चे इसकी रिलीजिंग का इंतजार कर रहे थे। आप सभी को जानकर हैरानी होगी कि इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने बच्चों के लिए डरावनी माना है। जिसके चलते सेंसर बोर्ड की तरफ से इस फिल्म को U/A सर्टिफिकेट दिया गया है।
U/A सर्टिफिकेट के बारे में अगर आप नहीं जानते हैं तो बता दें कि U/A सर्टिफिकेट उन फिल्मों को दिया जाता है जो डरावनी होती हैं और जिसे देखे जाने के लिए माता-पिता के मार्गदर्शन की जरूरत होती है। ऐसे में अब जबकि सेंसर बोर्ड ने इसे U/A सर्टिफिकेट दिया है तो क्या ऐसे में हम ये समझें कि सेंसर बोर्ड को मोगली से डर लगता है? क्या मोगली इतना डरावना है?
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खैर मोगली से सेंसर बोर्ड को बेशक डर लगे, लेकिन बच्चों को मोगली काफी पसंद है। बता दें कि सेंसर बोर्ड के इस सर्टिफिकेट को देने के बाद से बॉलीवुड से लेकर सोशल मीडिया तक पर इसे लेकर खूब बवाल शुरू हो गया है। जिसके चलते सेंसर बोर्ड फिर विवादों में घिरता नजर आ रहा है। बॉलीवुड फिल्मों के निर्माता महेश भट्ट का कहना है कि-“सेंसर बोर्ड का ‘द जंगल बुक’ जैसी फिल्म को U/A सर्टिफिकेट देना ये दिखाता है कि हमारा देश कितना पागल हो गया है। ऐसा कहने के लिए मुझे खेद है, लेकिन इससे साफ जाहिर यही होता है कि हमारी सोच कितनी खराब होती जा रही है। ऐसे में जब इस फिल्म को U/A सर्टिफिकेट मिल रहा है तो मुझे लगता है कि सरकार को सीबीएफसी के बारे में दोबारा सोचने की जरूरत है।” वहीं उन्होंने इस दौरान सीबीएफसी के प्रमुख पहलाज निहलानी को भी निशाने पर लिया और कहा कि “वह कुछ लोगों के हाथों की कठपुतली बनकर रह गये हैं। अगर लोग मुझसे पूछें कि क्या सीबीएफसी यानी सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन को कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए तो मेरा जवाब हां ही होगा क्योंकि जंगल बुक जैसी फिल्म को U/A सर्टिफिकेट देना भारत देश के लिए काफी शर्मनाक बात है।”
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बता दें कि भारत में स्थित रडयार्ड किपलिंग की कहानियों पर बनी ये फिल्म ‘द जंगल बुक’ एक रोमांचक और साहसिक फिल्म है। जिसको जॉन फेव्रो ने डायरेक्ट किया है और इसको जस्टिन मार्क्स ने लिखा है। वहीं इसके निर्माता वॉल्ट डिजनी पिक्चर्स हैं। यह फिल्म आज भारत में रिलीज हो रही है जबकि एक सप्ताह बाद अमेरिका में रिलीज होगी। फिलहाल सेंसर बोर्ड का निर्णय लोगों को पसंद नहीं आया है। जिसके बाद लोगों ने सेंसर बोर्ड पर संवेदनहीन रुख अपनाने का आरोप लगाया है।