हिंदू परंपरा में मकर संक्रांति एक प्रमुख पर्व के रूप में जाना जाता है। यह पर्व पूरे भारत सहित नेपाल में भी बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन की महत्ता यह है कि इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इस पर्व को उत्तरायणी भी कहा जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में यह अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।
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शास्त्रों के अनुसार इस दिन से ही देवताओं के दिन शुरू होते हैं। इसलिए इस दिन तप, दान, जप और तर्पण आदि किए जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन किए जाने वाले दान का विशेष महत्व होता है। साथ ही इस दिन किए गए दान का पुण्य कभी भी नाश नहीं होता है। इस दिन भारत की पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व है।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन सूर्य शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। माना जाता है कि शनि को शांत करने के लिए ही इस दिन तिल का दान किया जाता है ताकि सूर्य और शनि शत्रु भाव के होने पर भी व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति प्रदान करें।
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स्नान का विशेष महत्व-
इस दिन पूरे भारत में पवित्र नदियों में लोग स्नान करते हैं। गंगा, यमुना और इलाहाबाद के संगम में भी लोग इस दिन विशेष रूप से स्नान कर अपने पापों को नष्ट करते हैं।
पतंग उड़ाने की परंपरा-
पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी और भगवान राम ने इस अवसर पर पतंगबाजी की थी। रामचरित मानस के बालकाण्ड में इस संदर्भ में उल्लेख मिलता है। इसके प्रसंग के अनुसार बताया गया है कि पंपापुर से हनुमान जी को बुलाया गया था। उस समय हनुमान बालरूप में थे। जब वह पंपापुर पहुंचे उस दिन मकर संक्रांति का पर्व था। पंपापुर पहुंचकर उन्होंने भगवान राम और उनके भाइयों के साथ पतंग उड़ाई थी।
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माना जाता है कि इस दिन उड़ाई गई पतंग सीधे भगवान के पास ही जाती है। ज्योतिषार्चों का कहना है कि इस दिन पतंग पर अपनी समस्या लिख कर उसे उड़ाना चाहिए और जब पतंग हवा में दूर चली जाए तो डोर को तोड़ देना चाहिए। इस उपाय को विशेष तौर पर इसी पर्व पर किया जा सकता है।