माउंट आबू – यहां मौजूद है भगवान दत्तात्रेय का दिव्य त्रिशूल, दर्शन मात्र से होती हैं मनोकामनाएं पूरी

-

माउंट आबू का नाम आपने सुना ही होगा, पर आप शायद यह नहीं जानते होंगे कि यहां पर ही मौजूद है भगवान दत्तात्रेय का दिव्य त्रिशूल, जिसके दर्शन मात्र से ही भक्तों की मनोकामना पूरी होती हैं। आज हम आपको इस स्थान के बारे में ही बता रहें हैं। आपको सबसे पहले हम यह भी बता दें कि यह स्थान भारत के राजस्थान प्रदेश में स्थित है और यह न सिर्फ विभिन्न धर्मों की आस्था का केंद्र है, बल्कि यह एक टूरिस्ट स्पॉट भी है, इसलिए यहां पर बहुत से लोग घूमने के लिए भी आते हैं। माउंट आबू के पास में ही “गुरु पर्वत” है। यह गुरु पर्वत अरावली श्रंखला से ही संबंधित है और इसी पर्वत पर स्थित है भगवान दत्तात्रेय की तप स्थली। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर ही भगवान दत्तात्रेय ने तप किया था। आपको हम बता दें कि भगवान दत्तात्रेय को भगवान ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव का अवतार माना जाता है।

the divine trident is here at the lord dattatreya temple to bless peopleimage source:

भगवान दत्तात्रेय को भगवान तथा गुरु दोनों के रूप में मान्यता मिली हुई है, इसलिए ही उनको “गुरुदेवदत्त” भी कहा जाता है। हम आपको बता दें कि गुरु पर्वत पर स्थित भगवान दत्तात्रेय के तप स्थल पर उनका दिव्य त्रिशूल भी है। जिसके दर्शन मात्र से ही लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पौराणिक कथाओं में भी माउंट आबू के पास के इस स्थान का वर्णन है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर ही भगवान राम तथा लक्ष्मण ने ऋषि वशिष्ठ से दीक्षा ली थी और उनका शिष्यत्व ग्रहण किया था।

the divine trident is here at the lord dattatreya temple to bless people 1image source:

इस माउंट आबू नामक स्थान पर ही “अर्बुदा देवी” का मंदिर है। असल में अर्बुदा शब्द का ही अपभ्रंश ही आबू है। यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में अपना छठा स्थान रखता है। अर्बुदा देवी को ही 9 देवियों में कात्यायनी के रूप में पूजा जाता है। गुरु पर्वत पर ही जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर आए थे, इसलिए ही यह जैन धर्म के लोगों का प्रमुख स्थान है। यहीं पर जैन धर्म का प्रसिद्ध दिलवाड़ा मंदिर भी स्थित है। यह मंदिर दर्शनीय है। इस मंदिर से 15 किमी की दूरी पर अरावली श्रंखला की सबसे ऊंची चोटी पर गुरु शिखर है, जहां पर भगवान दत्तात्रेय की तप स्थली तथा उनका दिव्य त्रिशूल है।

shrikant vishnoi
shrikant vishnoihttp://wahgazab.com
किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

Share this article

Recent posts

Popular categories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent comments