यह है दुनिया की सबसे बड़ी शैतानी किताब, जिसको लिखा है खुद शैतान ने

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क्या आपने कभी किसी शैतानी किताब को देखा है या कभी उसको पढ़ा है, यदि नहीं तो आज हम आपको बताएंगे एक शैतानी किताब के बारे में और न सिर्फ किताब के बारे में बल्कि किताब के निर्माण और उसके अंदर की गुप्त बातो के बारे में भी। जानकारी के लिए बात दें कि इस किताब का नाम “डेविल बाइबिल” है और यह एक हस्तलिखित किताब है यानी हाथों से ही इसको लिखा गया है। इस किताब को ऐसा नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इस किताब के अंदर में एक शैतान की तस्वीर बनी हुई है। इन शैतानी तस्वीरों के आस-पास भी कई प्रकार के अजीब से चिंन्ह बने है। यह पुस्तक काफी बड़े आकर की है।

इस पुस्तक की लिपि मध्य युग की है और इसके पृष्ठों की संख्या 310 है, जो की लगभग 160 गधों की खाल से बने हैं। वर्तमान में इसे स्वीडन के स्टॉकहॉम शहर की नेशनल लाइब्रेरी में आम लोगों को दिखाने के लिए रखा गया है। इस पुस्तक को इसकी उत्पत्ति की कहानी ही मशहूर करती है ऐसा कहा जाता है कि यह पुस्तक किसी सन्यासी द्वारा लिखी गई थी, जो की अपने संप्रदाय के खिलाफ चला गया था और उसको मौत की सजा मिली थी, उसको कब्र में डाल कर मरने के लिए छोड़ दिया गया था।

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असल में उसने खुद को साबित करने की बात सोची थी और उसने एक ऐसी पुस्तक बनाने चाही जिसमे सारा ज्ञान समाहित हो। इसके लिए उसने इस पुस्तक को आधी रात में लिखना शुरू किया पर उसको अहसास हो गया कि वह एक असंभव कार्य को कर रहा है, जो उसके बस में नहीं है इसलिए उसने शैतान से प्रार्थना की। उस सन्यासी ने शैतान से कहा कि वो उसकी इस पुस्तक को पूरा कर दे और बदले में उसकी आत्मा ले ले। शैतान ने अपना कार कर डाला और सन्यासी ने शैतान को धन्यवाद देने के प्रतीक के रूप में उसकी तस्वीर इस किताब में बना दी थी।

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ऐसा माना जाता है कि जिस किसी के भी पास यह किताब होती है उसके जीवन में कई प्रकार के हादसे और परेशानियां आती ही रहती है। इस पुस्तक का पुराना मालिक भी एक प्रकार की जानलेवा परिस्थितियों का शिकार हुआ था, उसके अनुसार इस किताब के अक्षर किताब से निकल कर बाहर आ गए थे, फिर आग के सामान जलने लगे थे। इसके बाद में उसने अपना मानसिक संतुलन खो दिया था और उसको अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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