अपने देश में बहुत से मंदिर हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं। जिनका निर्माण मुस्लिम लोगों ने अपने समय में कराया था। आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में जानकारी दे रहें हैं। इस मंदिर का नाम ठाकुर साहब का मंदिर है। यह कानपुर के बिधनू थाना क्षेत्र के सीनिय गांव में स्थित है। इस मंदिर की बहुत मान्यता रही है। बड़े बड़े दिग्गज नेता लोग यहां दर्शन कर चुनाव में जीत हासिल कर जाते हैं। इस मंदिर के चारों और गुफाएं भी बनी है। मान्यता है की ये गुफाएं कई कई किलोमीटर लंबी हैं। वर्तमान में ये बंद भले ही कर दी गई है पर इस मंदिर की गुफाओं का रहस्य आज भी बना हुआ है। लोगों में इन गुफाओं को लेकर कई प्रकार की मान्यताएं हैं। खैर अब हम आपको विस्तार से बताते हैं इस मंदिर के निर्माण के बारे में।
मुस्लिम महिला ने कराया था निर्माण –
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बात उस समय की है जब हमारे देश में अंग्रेजों की हुकूमत थी। उस समय मंदिर वाले स्थान पर मिट्टी का एक टीला हुआ करता था। जो भी गाय वहां जाती तो अपना दूध उस टीले के ऊपर निकाल देती थी। यह देख कर सीनिया गांव के लोगों के टीले की खुदाई की। खुदाई के दौरान टीले के नीचे से भगवान् बिष्णु की प्रतिमा मिली। प्रतिमा को दूध से नहलाया गया। तब तक सीनिया गांव के बगल के गांव पीपर से भी कुछ लोग वहां पहुंच गए और उस प्रतिमा को अपनी बैलगाड़ी में रख कर ले जानें लगे। ऐसा करने पर भी बैलगाड़ी आगे नहीं बढ़ी। यह देख सभी हैरान रह गए। रन्नो देवी तथा उनके पति दोनों मुस्लिम थे जो उस समय वहीँ थे। रन्नों देवी के पति का इंतेक़ाल वहीं हो गया था। रन्नों देवी ने इस प्रतिमा को ले जानें वालों का विरोध किया तथा अपने जेवरात बेच कर एक मंदिर बनवाया तथा उसमें इस प्रतिमा को प्राण प्रतिष्ठित किया।
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उस समय भैरवानंद नामक एक व्यक्ति अंग्रजों की पुलिस की नौकरी छोड़कर गांव में आये थे तथा उन्होंने ही मंदिर में पुजारी का कार्यभार सम्हाला था। उन्होंने मंदिर के चारों को कई कई किलोमीटर तक जमीन के नीचे गुफाएं बनवाई थी। कुछ लोगों का कहना है की ये गुफाएं उस समय क्रांतिकारियों के छुपने के लिए बनवाई गई थीं तो कुछ लोगों का कहना है की इनका यूज ध्यान साधना के लिए होता था। खैर मुस्लिम महिला द्वारा निर्मित ठाकुर साहब का मंदिर आप आज भी देख सकते हैं तथा इन गुफाओं के भीं दर्शन कर सकते हैं।