ओडिशा में टिटलागढ़ नमक जगह देशभर में अपनी गर्मी और बढ़े तापमान के लिए जाना जाता है। तापमान ज्यादा होने की वजह से यहां स्थित कुम्हड़ा पहाड़ को कहा जाता है, हालांकि यह पहाड़ पत्थर की कंक्रीट से बना है पर यहां गर्मी में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच जाता है। पर इस पहाड़ के हिस्से में बना एक मंदिर भी किसी रहस्य से कम नहीं है । असल में बाहर का वातावरण इतना ज्यादा गर्म होने के बावजूद भी इस मंदिर के अंदर में एसी के जैसी ही ठंडक रहती है। आपको इसी मंदिर के बारे में जानकारी दे रहें हैं। यह मंदिर पहाड़ के खोखले स्थान में बना हुआ है। इस मंदिर में भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियां हैं।
क्या हैं मंदिर से जुड़ी मान्यताएं –
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मंदिर के ठंडा रहने को लेकर यहां पर कुछ मान्यताएं प्रचलित हैं। सबसे पहली मान्यता तो यह है की लोगों का मानना है मंदिर में स्थित मूर्तियों से ही हवा आती है, जो की ठंडा करती है। यदि आप मंदिर का प्रवेश द्वार बंद कर लेते हैं तो पूरा मंदिर का वातावरण सर्द हो जाता है. यहां तक की पुजारी को भी कंबल ओढ़ना पड़ता है। बाहर के वातावरण में जैसे जैसे धूप बढ़ती है वैसे वैसे मंदिर के अंदर में ठंडक भी बढ़ती जाती है। मंदिर के अंदर का वातावरण ठंडा क्यों हो जाता है अभी तक इसका कोई पता नहीं लग सका है पर बहुत से लोगों की मान्यता यह भी है की ऐसा होना दैवीय प्रभाव है, दूसरी और कुछ लोगों का कहना है यह कोई वैज्ञानिक आधार होगा।
कभी राजधानी हुआ करता था टिटलागढ़ –
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यहां के स्थानीय लोगों की बात मानें तो यहां का वास्तिविक नाम त्रितिलागढ़ है और यह महाराज उदयनारायण सिंह देव की राजधानी थी। यहां पर जहां महाराज का महल था उस स्थान पर बसे गांव का नाम आज उदयपुर है और जहां पर राजा के हाथी तथा घोड़े बांधे जाते थे उस गांव का नाम आज घुड़ार गांव है और जिस गांव में राजा के सिपाही और सेनापति रहते थे वह गांव आज सिंहनी गांव के नाम से जाना जाता है।