हिन्दू धर्म के पवित्र स्थलों में से एक वराणासी जहां पर आकर लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। तो वहीं दूसरी और इस तपोभूमि में संतानहिन लोगों को सतांनसुख की भी प्राप्ति होती है। वाराणसी में मनाया जाने वाला पर्व लोलार्क छठ बड़ी ही आस्था के साथ मनाया जाने वाला पर्व होता है। इसे मनाने के लिए दूर देश के लोग यहां आकर अपनी सभी मनोकामना को पूर्ण करते है। यह पर्व भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को हर साल मनाया जाता है। लोलार्क छठ में भगवान सूर्य की अराधना की जाती है और यहां पर बने कुंड में दूर देश के लोग कोने-कोने से आकर बड़ी ही आस्था के साथ डुबकी लगाते है। बताया जाता है कि इस महापर्व के दिन इस कुंड में डुबकी लगाकर लोलार्केश्वर महादेव की पूजा करने से संतानसुख की प्राप्ति होती है और शारीरिक रोगों से छुटकारा मिलता है।
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पौराणिक धारणाओं के अनुसार लोलार्क कुंड और लोलार्केश्वर महादेव मंदिर की स्थापना सूर्य देव ने भगवान शंकर की आराधना करने के बाद की थी। तब से लेकर आज तक लोग इस कुंड में पहले स्नान करते है फिर लोलार्केश्वर महादेव की पूजा अर्चना कर अपनी मनो कामना को पूर्ण करते है।
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संतान-वंश वृद्धि के लिए आते हैं लोग-
यहां के पुजारियों का मानना है कि ज्यादातर लोग यहां संतानसुख की प्राप्ति के लिए दूर देश के कोने-कोने आते है। यहां के कुंड में स्नान के बाद सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पर जरूरी नहीं है कि फल को ही पूजा में अर्पित किया जाये, आप चाहे तो यहां फल के अलावा कोई एक प्रकार की सब्जी भी चढ़ा सकते है। उसके बाद वही प्रसाद श्रद्धालु तभी खाते हैं जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है। कुंड़ में डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालु अपने पहने हुए गीले कपडों को वहीं उतार कर छोड़ देते हैं। जिससे उनके सारे दोष और कष्ट दूर हो जाते है।
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संतान प्राप्ति के लिए आते हैं लोग-
लोलार्क कुंड बनारस में सबसे बड़ी आस्था का केन्द्र बन चुका है। जहां पर स्नान मात्र के लिए लोगों को रात भर की लंबी कतार में से होकर गुजरना पड़ता है। यहां पर आने वाले लोगों का मानना है कि यह स्थान सभी लोगों की कामनाओं को जल्द ही सिद्ध कर देता है।