भारत की पटरियों पर यूं तो कई ट्रेनें दौड़ती हैं और करोड़ों यात्रियों को उनके शिखर तक पहुंचाने का काम करती हैं, पर अब देश के विकास के साथ हमारे सफर में भी कई बदलाव होने जा रहे हैं। सबसे तेज गति से चलने वाली सुपरफास्ट ट्रेन ‘गतिमान एक्सप्रेस’ का सपना बीते 5 अप्रैल को पूरा हो गया है। अब इस सुपरफास्ट ट्रेन के बाद रेलवे एक और गिफ्ट भारत के यात्रियों को देने की सोच रहा है जो कि 200 किमी/घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली ट्रेन है।
इस नये प्रोजेक्ट के तहत अब हमारे देश की पटरियों पर स्पेन की हाईस्पीड ट्रेन को दौड़ाने की योजना बनाई जा रही है। स्पेन से लाई जा रही इस सुपर ट्रेन की खूबियों के विषय में आप अगर नहीं जानते हैं तो जानें क्या हैं इसकी खूबियां…
स्पेन से लाई जाने वाली इस सुपर ट्रेन के रेल कोच निर्माण कंपनी टैल्गो की स्थापना 1942 में हुई थी। जिसके जनक अलेंजेंद्रो और लुईस ओरियल थे। यह तेज दौड़ने वाली डीजल पॉवर ट्रेन है। जिसके स्पेन से टैल्गो XXI वर्जन के कोच 23 अप्रैल तक भारत पहुंचने की संभावना है। इसके आने के बाद जल्द ही इस ट्रेन का पहला ट्रायल किया जायेगा। सूत्रों के मुताबिक इसका पहला ट्रायल बरेली-मुरादाबाद रूट पर कि जायेगा। जहां यह 115 किमी/घंटे की स्पीड से दौड़ेगी।
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इसके बाद दूसरा ट्रायल पलवल से मथुरा के बीच किया जायेगा। इस रूट पर ट्रेन 180 किमी/घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। तीसरा ट्रायल दिल्ली-मुंबई के बीच 200 किमी/घंटे की स्पीड पर होगा।
बताया जा रहा है कि पूरा ट्रायल यदि सही तरीके से पूरा हो जाता है तो रेलवे इस ट्रेन को दिल्ली-मुंबई के बीच चलाने की तैयारी कर रहा है। टैल्गो के चलने के बाद दूर का सफर काफी नजदीक हो जायेगा। यह ट्रेन दिल्ली से मुंबई की दूरी महज 12 घंटे में तय करने का काम करेगी। फिलहाल इस रूट पर चलने वाली सबसे फास्ट ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस है जो 80 से 100 किमी/घंटे की तेज गति से से दौड़ती है।
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आपको बता दें कि इस नई ट्रेन की पूरी बॉडी एल्युमिनियम से बनी होने के कारण काफी हल्की है। टैल्गो के एक कोच का खर्च करीब 3.25 करोड़ रुपए आता है। यदि नॉर्मल कोच की बात की जाये तो इसका खर्च 2.5 करोड़ के करीब आता है। जानकारों के अनुसार ट्रेन के कोच आधुनिकतम तकनीक द्वारा बनाये गये हैं। जिसमें ऑटोमैटिक स्लाइडिंग डोर होंगे। इसके अलावा 14 एसी चेयर कार, तीन एग्जीक्यूटिव चेयर कार और 3 पावर कार होंगे।
टैल्गो कंपनी के अनुसार इस ट्रेन को तीव्र गति से दौड़ाने के लिये सन् 1980 में इसमें काफी बदलाव किये गये थे। जिसके बाद से ये ट्रेन अधिकतम 256 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकती है। डीजल ट्रेनों में ये रफ्तार काफी अधिक मानी जाती है।