सुरेश रैना की दर्द भरी जिंदगी से सफलता तक का सफर

-

सितारों की चकाचौंध के बीच चमकता सितारा कभी गुमनामी के अंधेरों में अपने मुश्किल भरे पल में जी रहा था, तब उसे नहीं मालूम था कि यही पल उसे किसी समय में बुलंदियों तक ले जायेंगे। हम यहां बात कर रहे हैं क्रिकेटर सुरेश रैना की। अपने उन दिनों को याद करते हुये सुरेश रैना भी खौफ खा जाते हैं। अपने जीवन में वे किन-किन हादसों से गुजरे, ऐसा क्या हुआ था सुरैश रैना के साथ जिसका डर उनके मन में आज तक बना हुआ है, यह सब हम आपको यहां बताने जा रहे हैं।

बताया जाता है कि सुरैश रैना की पढ़ाई हॉस्टल में रहकर ही शुरू हुई थी। वहां पर उन्हें अपने साथियों के साथ रहकर काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। कभी-कभी तो हॉस्टल के वे लड़के जो उनसे काफी ईर्ष्या करते थे उनके दूध में घास और कचड़ा डाल देते थे। जिसे बाद में वो कपड़े से छानकर दूध पीते थे। इन सब से तंग आकर रैना ने कई बार आत्महत्या करने और हॉस्टल से भागने की भी कोशिश की।

बताया-जाता-है-कि-सुरैश-रैना-की-पढ़ाई-हॉस्टल-में-रहकर-ही-शुरूImage Source :http://1.bp.blogspot.com/

रैना के मुताबिक ऐसे ही एक बार जब वो अपने साथियों के साथ स्पोर्ट्स खेलने के लिये जा रहे थे तो वे ट्रेन के जनरल कोच में पेपर बिछाकर नीचे ही सो गए। वहां पर उन्हें काफी ठंड भी लग रही थी। इसी ट्रेन में 13 से 15 उम्र के कुछ बच्चे जो आगरा में हो रहे क्रिकेट टूर्नामेंट को खेलने जा रहे है सोते हुये रैना को बांध कर उनके ऊपर पेशाब करने लगे। बंधे होने के कारण रैना उस वक्त उनसे हाथापाई नहीं कर पाए। किसी तरह से काफी मेहनत करने के बाद रैना ने उनको एक-एक करके मारा और स्टेशन पर ट्रेन के रुकने पर उन लोगों को नीचे गिरा दिया। उस समय रैना मात्र 13 साल के थे और लखनऊ के स्पोर्ट्स हॉस्टल में रह रहे थे।

एक बार आपस की लड़ाई के चलते रैना के कुछ साथियों ने उनको हॉकी से भी पीटा था। जिसके चलते रैना एक साल बाद ही हॉस्टल छोड़ कर भाग खड़े हुए, पर रैना के भाई दिनेश के द्वारा उन्हें फिर हॉस्टल पहुंचा दिया गया। इस बार रैना जब हॉस्टल पहुंचे तो अपने गुस्से को अंदर रखते हुए पूरी ऊर्जा क्रिकेट के अभ्यास में लगाने लगे ताकि वो और अच्छा खेल सकें। उनके अच्छे खेल के कारण अधिकतर लोग अपनी टीम में उन्हें अपने साथ खिलाते थे। इस समय लगातार हो रही कड़ी मेहनत धीरे-धीरे रंग लाने लगी और सभी का ध्यान रैना की ओर बढ़ने लगा। वहीं दूसरी तरफ रैना अपनी माली हालत काफी खस्ता होने के कारण क्रिकेट खेलने के लिए जूते नहीं खरीद पा रहे थे, क्योंकि उनके पिता उन्हें सिर्फ 200 रुपए ही खर्च के लिये देते थे जो कि खाने पीने में ही खर्च हो जाते थे।

लड़कों की टीम के साथ क्रिकेट मैच खेलते समय रैना को चौके छक्के की लगातार बौछार करने पर पुरस्कार के रूप में 200 रुपए मिले थे। उन्होंने इन रुपयों से स्पाइक शूज खरीदे। इसके बाद उनके बेहतरीन खेल को देखते हुए एयर इंडिया की तरफ से रैना के पास खेलने के लिए ऑफर आया। जिसने उनकी तकलीफों को काफी कम कर उनकी जिंदगी ही बदल डाली। इसके साथ ही रैना को एयर इंडिया की तरफ से दस हजार रुपए की स्कॉलरशिप देते हुए सम्मानित किया गया, जिससे उनके परिवार की जरूरतें भी पूरी होने लगी। अब तो रैना की किस्मत के सितारे चमकने लगे। सन् 2003 में रैना इंग्लैंड क्लब में क्रिकेट खेलने गए। जहां पर उन्हें एक हफ्ते क्रिकेट खेलने के 250 पाउंड मिले।

कहते हैं कि जब किस्मत के सितारे बुलंदियों पर रहते हैं तो रास्ते अपने आप ही मिलने लगते हैं। रैना के भी रास्ते इन सब के साथ तब खुलने लगे जब सन् 2005 में उनको पहली बार भारत के लिए एक दिवसीय मैच में खेलने का मौका मिला। इस सीरीज में खेलने से पहले रैना कैम्प में महेंद्र सिंह धोनी के साथ एक कमरे को शेयर करके रहते थे। रैना को बेड पर सोने की आदत ना होने के कारण वो जमीन पर ही सोते थे, जिसे देख धोनी भी उनके साथ जमीन पर सोने लगे।

कहते-हैं-कि-जब-किस्मत-के-सितारे-बुलंदियों-पर-रहतेImage Source :http://ste.india.com/

रैना को आईपीएल मैच के दौरान सबसे बड़ा झटका उस समय लगा जब उनके घुटनों पर चोट आ गई। जिसकी सर्जरी तक करवानी पड़ी। एक पल के लिये तो ऐसा लगा कि उनका कैरियर बिल्कुल खत्म ही होने वाला है और घर पर लोन का 80 लाख रुपया भी देना बाकी था, लेकिन कठिनाइयों का वक्त गुजरा और यह चमकता सितारा भी अपने बुलंद हौंसले और मेहनत से नई चमक के साथ फिर उठ खड़ा हुआ और सफलता हासिल की।

Pratibha Tripathi
Pratibha Tripathihttp://wahgazab.com
कलम में जितनी शक्ति होती है वो किसी और में नही।और मै इसी शक्ति के बल से लोगों तक हर खबर पहुचाने का एक साधन हूं।

Share this article

Recent posts

Popular categories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent comments