भारत देश में कई बार स्कूलों के सिलेबस को लेकर खबरें सुनने में आती है। कभी किसी सिलेबस में किसी क्रांतिकारी की जीवनी हटा दी जाती है तो कभी किसी दिग्गज नेता की जीवनी जोड़ दी जाती है। देश में सिलेबस के ऊपर भी राजनिती खेली जाती है। तो वहीं इन सब से परे विदेश के स्कूलों में भारत देश के एक गांव की कहानी पढ़ाई जा रही है।
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इस बात से भारत की सरकार इत्तेफाक भले ही नहीं रखती हो लेकिन डेनमार्म की सरकार के लिए भारत में बसा ये गांव किसी अजूबे से कम नहीं माना जाता है। आपको बता दें कि ये पिपलांत्री गांव राजस्थान में स्थित है जिसने देश का नाम ऊंचा किया है। जहां देश में बेटियों को बोझ माना जाता है, वहीं इस गांव में बेटी को जन्म देने पर जश्न मनाया जाता है। बेटी के जन्म होने पर गांववालें इस मौके पर 111 पौंधे लगाते है और साथ उसकी देखभाल का संकल्प भी लेते है। इस गांव की कहनी डेनमार्क के छात्र अपने सिलेबस में पढ़ते है। साल 2014 में डेनमार्क से मास मीडिया यूनिवर्सिटी की दो छात्राएं यहा अध्य्यन करने भी आ चुकी है। उन्होंने बताया है कि पिपलांत्री गांव उनके प्रोजेक्ट के टॉप-10 में शुमार है।