दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति की बात जब भी आती है तो लोग चीन को सबसे पहले याद करते है। लेकिन अब भारत ने विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा का निर्माण करके (‘स्टैचू ऑफ यूनिटी’) नया कीर्तिमान अपने नाम हासिल कर लिया है। गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध से महज 3.32 किलोमीटर की दूरी पर इस विशालकाय प्रतिमा को बनाया गया है। दुनिया की सबसे ऊंची इस प्रतिमा में क्या कुछ है खास। जानते है इसके बारें में…
गुजरात के गांधीनगर जिले में बन रहा दुनिया का सबसे ऊंचा स्टैचू ऑफ यूनिटी जो लगभग पूरी तरह से बनकर तैयार है पर क्या आप इसकी लागत के बारें में जानते है। इसकी कुल अनुमानित लागत करीब 3 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, स्टैचू ऑफ यूनिटी के निर्माण पर गुजरात और केंद्र सरकार की ओर से अब तक कुल 2131.45 करोड़ रुपये तक की धनराशि खर्च की जा चुकी है और अनुमानित रूप से आने वाले समय में ये बढ़कर करीब 300 हजार करोड़ रुपये तक पहुच सकती है।
मिली जानकारी के अनुसार स्टैचू का रखरखाव सही तरीके से होता रहे इसके लिये गुजरात सरकार नें15 साल तक रख-रखाव के लिए कार्यदायी एजेंसी को करीब 600 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इस तरह यदि यह राशि भी जोड़ दी जाए तो स्टैचू ऑफ यूनिटी की कुल लागत करीब 3000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी।
अब तक 2131 करोड़ रुपये खर्च
विभागीय सूत्रों के अनुसार, अब तक खर्च हुयी धनरासि का आकंड़ा इस तरह सेतैयार किया गया हैं इस विशालकाय मूर्ति के मिर्माणके लिये कुल 2131.45 करोड़ रुपये में से केंद्र सरकार द्वारा 300 करोड़ रू, राज्य सरकार के अनुदान से 554 करोड़ और केंद्र व राज्य सरकार की पीएसयू कंपनियों से सीएसआर के माध्यम से करीब 455 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इसके अलावा 102 करोड़ रुपये विभिन्न दानदाताओं और 36 लाख रुपये ऑनलाइन डोनेशन के द्वारा प्राप्त किये गये है। इस तरह से करीब 1412.27 करोड़ रुपये की आय के सापेक्ष 22 अक्टूबर 2018 तक 2131.45 करोड़ रुपये का खर्च किया जा चुका है।
31 अक्टूबर को पीएम मोदी करेंगे अनावरण
बता दें कि सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित दुनिया की सबसे ऊंची विशालकाय मूर्ति ‘स्टैचू ऑफ यूनिटी’ को अंतिम रूप देने का काम काफी तेजी से चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 31 अक्टूबर के खास दिन इसका अनावरण करेंगे। नर्मदा नदी के पास साधु बेट द्वीप पर स्थित प्रतिमा के लिए लगातार करीब 3400 मजदूर और 250 इंजिनियर काम कर रहे हैं। यह प्रतिमा ‘स्टैचू ऑफ लिबर्टी’ की ऊंचाई से दोगुनी और रियो डी जनेरो में ‘क्राइस्ट द रिडीमर’ से चार गुनी होगी।