अक्सर हर किसी के मन में एक प्रश्न हमेशा बना रहता है कि मरने के बाद इंसान आखिर जाता कहां है? उसकी आत्मा किस तरह से बाहर जाती है। यह बात आज तक कोई नहीं जान पाया, पर हम आपको आज बता रहे है कि मरने के बाद आत्मा सबसे पहले कहां पर जाती है। हमारे भारत में ही एक ऐसा मंदिर है जहां पर मरने के बाद सीधे आत्मा उस मंदिर में ही जाकर प्रवेश करती है और वही पर जाकर उसके कर्मों के लेखा-जोखा तैयार किया जाता है।
बताया जाता है कि हिमाचल प्रदेश में चम्बा जिले के भरमौर नामक स्थान पर बना यह मंदिर अपनी अनोखी मान्यताओं के कारण बड़ा भी प्रचलित हैं। यह जगह कहने को तो मंदिर है पर इसका ढांचा एक घर की तरह दिखाई देता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके आसपास जाने से भी लोग डरते है। दूर से ही प्रणाम कर निकल जाते है क्योंकि इस मंदिर में धर्मराज यानी यमराज विराजते है। यह विश्व का एक ऐसा अकेला मंदिर है जो धर्मराज के नाम पर समर्पित है।
Image Source:
इस मंदिर में एक कमरा बना हुआ है जहां पर चित्रगुप्त रहते है। चित्रगुप्त ही यमराज का सचिव हैं जो सभी जीवात्माओं के कर्मो का लेखा-जोखा लिखने का काम करते है। कहा जाता है कि जिस किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है यमराज उसे पकड़कर सीधे चित्रगुप्त के सामने पेश कर देते हैं। चित्रगुप्त उस जीवात्मा के द्वारा किये गये कर्मो का पूरा ब्योरा तैयार कर उसे दुबारा यमराज वाले कमरे में भेज देते हैं जिसे कचहरी कहा जाता है, यहां पर यमराज कर्मों के अनुसार जीवात्मा को उसके किये का फैसला सुनाते हुये स्वर्ग या नरक के द्वार की ओर ले जाते है। जो इसी मंदिर में ही समाहित है। इस मंदिर में चार अदृश्य रास्ते बने हुए हैं जो सोने चांदी, तांबा और लोहे के बने हैं। गरूड़ पुराण में भी इन द्वारों का उल्लेख किया गया है।