प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता के आह्वान के बाद देश में स्वच्छता को लेकर जागरुकता तो देखने को मिली लेकिन हकीकत ये है कि स्वच्छता केवल सरकार की लाठी के दम पर नहीं हो सकती है। इसके लिए हर नागरिक और समुदाय को आगे आना होगा तभी समग्र स्वच्छता के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। स्वच्छता के मामले में देश की राजधानी दिल्ली भी कई कदम पीछे है। जब राजधानी का ये हाल है तो दीगर इलाकों की तो बात ही अलग है।
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देश के आखिरी छोर पर बसा एक छोटा सा राज्य सिक्किम पूरे देश के लिए मिसाल बना है। सिक्किम ही देश का एक मात्र ऐसा राज्य है जो आज से 7 साल पहले यानी 2008 में ही देश का पहला 100 फीसदी शौचालय वाला राज्य बन गया था। आपको ये जान कर हैरानी होगी कि सिक्किम में सार्वजनिक जगहों पर थूकना मना है। पूरे सिक्किम में चाहे शहर हो या कस्बा हर जगह कानून का कड़ाई से पालन किया जाता है। सार्वजनिक जगहों पर थूकने पर 200 रुपये का जुर्माना भरना पड़ता है।
सिक्किम में 14 अगस्त 1997 से ही पॉलीथीन के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लग गया है। सड़कों पर कूड़ा फेंकने की पूरी तरह से मनाही है। इसके लिए सरकार ने उपाय भी किए हैं। हर गली मुहल्ले में डस्टबिन रखा गया है। हैरानी की बात तो ये है कि सिक्किम में चलने वाले सार्वजनिक वाहनों में भी चलित डस्टबिन का इंतजाम किया गया है यानी अगर कोई कार में सफर कर रहा है और उसे कुछ खा कर उसका रैपर फेकना है तो वो गर्दन बाहर निकाल कर बाहर नहीं फेंक सकता है उसके लिए वाहन के अंदर ही कूड़ा फेंकने का इंतज़ाम होता है।
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कोई कहीं भी मुंह उठाए और सिगरेट के धूएं का छल्ला निकालने लगे ये भी सिक्किम में नहीं हो सकता है। सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करते पकड़े जाने पर 200 रुपया जुर्माना भरना पड़ता है। इसका मतलब ये नहीं है कि सिगरेट पीने की मनाही है। सिगरेट पीने वालों के लिए अलग से स्मोकिंग जोन बनाए गए हैं, जहां वो निशुल्क सिगरेट पी सकते हैं। सिक्किम में न सिर्फ वायु बल्कि ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए भी सरकार कठोर कदम उठाए हैं। वहां आतिशबाज़ी पर पूर्ण प्रतिबंध लगा है।
सिक्किम में स्वच्छता केवल दिखावे के लिए नहीं है बल्कि उस पर अमल भी किया जाता है। सरकारी स्कूलों में पर्यावरण एक अलग विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। पूरे सिक्किम में राज्य की खाली पड़ी सरकारी जमीन को स्मृति वन जोन में परिवर्तित कर दिया गया है ताकि वहां के नागरिक जंगल और पर्यावरण के संरक्षण के लिए जुड़ें। इतना ही नहीं स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने में भी सिक्किम देश का नंबर 1 राज्य है।
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सिक्किम के लोगों को जागरूक करने के लिए एक कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है जिसका नाम है-10 मिनट धरती के लिए। सूबे में इसकी शुरुआत हुई सन् 2009 में, इस कार्यक्रम में हर वर्ष 25 जून को सिक्किम का हर नागरिक वृक्षारोपण करता है और ग्रीन सिक्किम के लिए अपना योगदान देता है।