डेनमार्क में स्थित वो खूनी फैरो आइलैंड जहां हर साल जुलाई में होने वाले एक विशेष समारोह में खेली जाती है खून की होली। सैकड़ों व्हेल्स को मारकर यह समारोह को मानाया जाता है। ग्रिंडाड्रैप के नाम से जाना जाने वाला ये समारोह फैरो आइलैंड और टोर्शवन बीच पर शुरू किया जाता है। भले ही लोग इस इवेंट का सख्त विरोध करते हो पर तब भी उनकी इन अवाजों को दबाते हुए पूरे जोर शोर से इस जश्न को मानाया जाता है। पिछले साल हुए इस समारोह में करीब 250 व्हेल्स को मौत के घाट उतार कर उनके खून के रंग से होली खेली गई थी। इस खूनी समारोह को मनाने के लिए पायलट स्पीशीज नामक व्हेल को शिकार बनाया जाता है।
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पहले इन व्हेल्स को किनारे लाने के लिए किसी प्रकार का लालच दिया जाता है। इनके किनारे आते ही इसे हुक या जाल बिछाकर पकड़ लेते है। मछली अपनी गिरफ्त में आते ही वहां पर खड़े लोग मछलियों को खींचकर बीच तक लाते हैं और उन्हें हलाल करना शुरू कर देते है। एक के बाद एक करके सैकड़ो मछलियों को इसी तरह से काटा जाता है जिसके खून से सागर का पूरा पानी लाल रंग में तब्दील हो जाता है।
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ये समारोह काफी साल से चल रही एक प्रथा के रूप में मनाया जाता है। भले ही डेनमार्क में व्हेल का शिकार करना गैरकानूनी माना गया है, पर फैरो आइलैंड पर इसकी विशेष छूट दी गई है।
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व्हेल मछली का शिकार कर लोग उसे बड़े ही चाव के साथ खाते है। इस समारोह पर रोक लगाने के लिए भले ही सख्त नियम बनाये गये हो पर यहां के लोग सभी का सामना करते हुए अपने इस समारोह को अंजाम देने में नही चूक रहे है।
जानकारी के मुताबिक लोगों को कहना है कि कुछ नेवी के लोग भी इस समारोह में शामिल होकर उन्हें ऐसा करने में उनकी पूरी मदद करते हैं।