आपने परशुराम का नाम तो सुना ही होगा, पर क्या आपने उनके द्वारा बनाई उस गुफा को देखा है, जहां उन्होंने कठोर तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था? यदि नहीं, तो आज हम आपको परशुराम के द्वारा बनाई गई उसी गुफा के बारे में बता रहें हैं जहां लंबे समय तक उन्होंने लंबे समय तक तप किया था। इस गुफा में ही परशुराम ने भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे दिव्य धनुष, तुरीण और दिव्य फरसा प्राप्त किया था। आइए अब आपको बताते हैं इस गुफा के बारे में।
इस गुफा को “परशुराम महादेव गुफा” कहा जाता है। यह गुफा राजस्थान के राजसमन्द और पाली जिले की सीमा पर ही स्थित है। पाली से यह गुफा 100 किमी तथा कुम्भलगढ़ दुर्ग से महज 10 किमी दूरी पर है। इस गुफा से कुछ दूरी पर सादड़ी नामक क्षेत्र है, जिसको परशुराम की बगीची कहा जाता है।
image source:
आपको बता दें कि यह परशुराम गुफा अरावली की हरीभरी पहाड़ियों के बीच स्थित है। इस गुफा तक जानें के लिए आपको 500 सीढ़ियां चढ़ कर जाना होता है। ऐसा कहा जाता है कि गुफा का निर्माण परशुराम ने अपने फरसे से ही पत्थरों को काट कर किया था। इस गुफा के अंदर के स्वरूप की बात करें, तो इसके ऊपर का भाग “गाय के थन” की आकृति का है। इस परशुराम गुफा के अंदर एक “स्वयं भू शिवलिंग” भी है जिसके ऊपर गौ मुख जैसी आकृति बनी हुई है।
इस आकृति से स्वयं भू शिवलिंग के ऊपर लगातार अभिषेक होता रहता है। इस स्वयं भू शिवलिंग के नीचे की ओर कुछ दूरी पर एक धूनी भी बनी है। जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर ही परशुराम ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। आपको बता दें कि राजस्थान के लोग इस परशुराम गुफा को “मेवाड़ के अमरनाथ” कहते हैं।
इस गुफा पर जाते हुए आपको हरे भरे पहाड़, घुमावदार रास्ते तथा बहते झरने देखने को मिलते हैं यानि आपको प्राकृतिक सौंदर्य का भी इस स्थान पर पूरा आनंद आता है। इस प्रकार से देखा जाएं तो यह परशुराम गुफा वर्तमान में पुण्यदायी स्थल तथा प्राकृतिक सौंदर्य का मिलाजुला केंद्र बनी हुई है।