हिंदू धर्म में वैसे तो हर पर्व को मनाने का अपना खास महत्व है और इनका वैज्ञानिक आधार भी है, जिसे दुनियाभर में मान्यता मिल रही है। ऐसा ही एक पर्व है रामनवमी। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार त्रेता युग में “चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि” को अवधनगरी की धरती पर परम प्रतापी राजा दशरथ के पुत्र श्री राम ने भगवान विष्णु के अवतार के रूप में जन्म लिया। विधि ने ऐसा विधान रचा कि दुनिया से रावण के भय को समाप्त करने के लिए एक साधारण इंसान के रूप में इनका जन्म हुआ। जिसने दुनिया के सामने एक उत्तम पुरुष का उदाहरण पेश किया। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को लोग उनके त्याग, बलिदान और मर्यादित व्यवहार के लिए याद करते हैं।
रावनवमी का पर्व श्री राम के द्वारा दिये गये सिद्धातों की याद दिलाता है, जिसमें वह अपने वचन और मर्यादा को बनाये रखने के लिये परिवार के साथ अपनी पत्नी के त्याग में भी पीछे नहीं हटे और अयोध्या के लिये अपना पूरा जीवन निःस्वार्थ रूप से सेवा करने में लगा दिया।
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तभी तो आज भी अयोध्या की तपोवनी भूमि के कण-कण में भगवान राम की उपस्थिति महसूस होती है। इसीलिए भारी संख्या में भगवान राम के श्रृद्धालु उनके चरणों में समर्पित होने के लिये दूर-दूर से आते हैं और राम के नाम में लीन हो उन्हें अपने दिल में बसा कर ले जाते हैं। श्री राम का जन्मदिवस राम नवमी पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है। जिसमें बड़े पैमाने पर कार्यक्रमों का आयोजन होता है। शोभा यात्रा निकाली जाती है और मंदिरों में रामायण पाठ के साथ पूजा-अर्चना होती है जिसमें बड़ी तादाद में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं।
इस रामनवमी पर अद्भुत संयोग
आज 15 अप्रैल 2016 को रामनवमी के दिन ज्योतिषीय गणना के अनुसार पुष्य नक्षत्र का योग बन रहा है और इसी योग में श्री राम का जन्म हुआ था। इस योग के साथ-साथ बुधादित्य का भी योग बनता दिख रहा है। जिसमें सूर्य उच्च स्थान पर रहते हुये बुध के साथ मिलकर बुधादित्य योग बना रहा है, इसलिये आज के दिन का ये खास मुहूर्त है जो सूर्योदय से लेकर दिन में 3 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। हिंदू मान्यता के अनुसार इस पुष्य नक्षत्र के दिन बहुमूल्य और विशेष वस्तुओं की खरीददारी करना काफी शुभ माना जाता है।
राम नवमी की कथा-
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राम नाम जितना सुनने में अच्छा लगता है उतना ही मन में धारण करने से हमारा तन मन भी साफ सुंदर हो जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम एक कर्मधारणी महापुरुष थे जिनमें त्याग, प्रेम और तपस्या के अनमोल गुण विद्मान थे। बताया जाता है कि भगवान राम का जन्म आज से 7122 वर्ष पहले 5114 ईस्वी में हुआ था। वहीं प्रमाणिक शोधों के अनुसार उनका जन्म 9,000 वर्ष पहले के हुआ था।
राम ने अपने 14 वर्ष के वनवास के समय पूरे भारत का भ्रमण किया। इस दौरान उन्हें सभी प्रकार के लोग मिले जिनमें आदिवासी, पहाड़ी और समुद्री लोग रहे जिनके बीच रहते हुये उन्होंने सत्य, प्रेम, मर्यादा और सेवा का संदेश फैलाते हुये सभी को एक जुट किया। यही कारण है कि जब राम रावण के बीच युद्ध हुआ तो सभी ने मिलकर भगवान राम का भरपूर सहयोग किया। यह भी बता दें कि उस समय ये लोग सिर्फ दो तरह की सोच रखे हुये थे यक्ष और रक्ष, मतलब सुर और असुर या देव और दानव जिनसे लड़ना लोगों के वश में नहीं था। जिनका अंत भी भगवान राम के द्वारा किया गया। उन्होंने संपूर्ण अयोध्या को अपने प्रेम में संजोये रखा। तभी तो भगवान राम आज भी जन-जन के ह्रदय में बसकर अपनी एक खास जगह बनाये हुये हैं।