कुंभ के मेले के बारे में आप जानते ही होंगे, इस मेले में देश-दुनिया से बहुत बड़ी मात्रा में लोग स्नान करने के लिए आते हैं पर इस प्रकार के मेले में परिवार के लोगों के साथ आने वाले लोगों के साथ जो सबसे ज्यादा दुर्घटना होती है वह है उनके परिवार के किसी सदस्य का कुंभ के मेले में खो जाना। आपने कुछ ऐसा ही कई बॉलीवुड फिल्मों में भी देखा ही होगा, जिसमें दो लोग बचपन में ऐसे ही किसी मेले में बिछड़ जाते हैं और जवान होने पर किसी तरह मिलते हैं पर आज हम आपको ऐसे एक व्यक्ति से मिलवाने वाले हैं जो की पूरे जीवनभर यही कोशिश करता रहा कि फिल्म की ये कहानियां किसी के भी असल जीवन में घटित न हो सकें। आइये जानते हैं इस व्यक्ति को जो परिवार से बिछड़े लाखों लोगों को मिलवा चुका है।
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इस महामानव का नाम “राजा राम तिवारी” था। जिनको लोग “‘भूले भटके वालों के बाबा” भी कहते थे, ये माघ माह में लगने वाले कुंभ मेले में खाए लोगों को उनके परिवार से मिलवाने के लिए अपना एक कैम्प चलाते थे और यह कार्य वह कुछ सालों से नहीं बल्कि 71 सालों से लगातार कर रहें थे। इस दौरान उन्होंने करीब 14 लाख लोगों को उनके परिवार से मिलाया था।
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7 दशक से लगातार लोगों को उनके परिवार से मिलवाने वाले इस महामानव की मृत्यु शनिवार को 88 वर्ष की उम्र में इलाहाबाद में हुई। जानकारी के लिए आपको हम यह भी बता दें कि अपने इस कार्य के अलावा कुछ समय पहले उन्होंने गंगा सफाई का भी अभियान शुरू किया था।
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‘भूले भटके वालों के बाबा मूल रूप से प्रतापगढ़ की रानीगंज तहसील के हैं, वर्तमान में उनके परिवार में 28 सदस्य हैं। जिसमें उनकी पत्नी सहित 20 पोते तथा पोतियां हैं। बाबा जी के बारे में उनके सबसे छोटे बेटे उमेश तिवारी का कहना है कि “उन्होंने अप्रैल में पड़ने वाली पूर्णिमा से गंगा सफाई अभियान शुरू किया था, वो चाहते थे कि हर पूर्णिमा वाले दिन लोग मिलकर गंगा की सफाई करें पर उनके जाने के बाद उनका यह सपना अब अधूरा ही रह गया।” देखा ये तो राजा राम तिवारी जी ने पूरे जीवन भर दूसरे लोगों के लिए ही निस्वार्थ कार्य किया। साथ ही गंगा सफाई अभियान को भी चलाया जो की वर्तमान में काफी आवश्यक है, आज राजा राम तिवारी जी हमारे बीच नही हैं पर उनके किये कार्यो ने उनको महामानव बनाया है, हम सभी लोग उनको अपनीं श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।