माना जाता है कि रमजान की इबादत सारे गुनाह को माफ करा देती है। इसी क्रम में अपने देश के कैदी भी इस पवित्र माह में रोजा रख इबादत में डूबे हैं। अपने किसी भी गुनाह की तौबा कर फिर से उसको न दोहराने का संकल्प करना अच्छी बात है। यह कार्य वर्तमान में जेल के कैदी बड़ी संख्या में करते दिखाई दे रहें हैं। यह खबर मध्य प्रदेश के भोपाल से सामने आई है। इन दिनों यहां की जेल में कैदी न सिर्फ रमजान में इबादत करने में मशगूल हैं बल्कि वे रोजा भी रखे हुए हैं। इन कैदियों में बहुत से कैदी तो ऐसे हैं जिन्होंने अपने किये गुनाहों की बकायदा लिस्ट भी तैयार की हुई है। ये लोग इबादत करने के दौरान अपने गुनाहों के लिए माफी मांगते हैं तथा प्रायश्चित भी करते हैं।
जेल प्रशासन ने किये हैं खास इंतजाम –
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भोपाल सेंट्रल जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे ने इस बारे में बताते हुए कहा कि “हमारे यहां 550 मुस्लिम कैदी हैं। जिनमें से 100 कैदी आजीवन कारावास की सजा पाए हुए हैं और लगभग इतने ही कैदियों की सजा विचाराधीन हैं। ये सभी कैदी रमजान के पवित्र माह में रोजे रख कर इबादत कर रहें हैं। हमारे जेल प्रशासन की ओर से इन सभी लोगों के लिए खास इंतजाम किये गए हैं। जेल प्रशासन इन कैदियों के लिए सुबह 3:30 बजे सेहरी का इंतजाम करता है और इनको खजूर, चाय, दूध तथा रोटी मुहैया कराता है। शाम को अफ्तार के समय इन लोगों के लिए सब्जी-रोटी, दाल-चावल, सलाद तथा खजूर आदि तैयार किया जाता है। इन लोगों की सुविधा के लिए जेल में कैदियों द्वारा एक कमेटी भी गठित कराई गई है ताकी इन लोगों को सेहरी तथा अफ्तार तथा नमाज जैसी चीजों में सुविधा मिल सके।”
सिमी आतंकियों के लिए सामूहिक अफ्तार व नमाज बैन –
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जेल में जितने भी मुस्लिम कैदी हैं। वे सभी 20 या 50 लोगों के समूहों में अफ्तार तथा सामूहिक नमाज में हिस्सा लेते हैं। लेकिन भोपाल की इसी जेल में बंद सिमी आतंकी लोगों को सामूहिक नमाज तथा अफ्तार में शामिल नहीं किया जाता। जेल प्रशासन का कहना है कि इन कैदियों को सुरक्षा कारणों से समूहों में नहीं जाने दिया जाता परंतु अन्य कैदियों की तरह इनको भी सभी सुविधाएं सामान रूप से दी जाती हैं। इस प्रकार से रमजान के इस वर्ष के पवित्र माह में कैदी अपने गुनाहों की तौबा में लगें हुए हैं। इन सभी को देख कर लगता है कि जल्दी ही समाज में बड़ा सकारात्मक परिवर्तन आने वाला है।