देश का कानून सभी सबूतों और सभी दलीलों के बाद ही किसी फैसले पर पहुंचता है। हमारे देश के कानून में न्याय थोड़ी देरी से ही मिलता है। आज हम आपको एक ऐसा ही मामला बताने जा रहें हैं। यह मामला उत्तर प्रदेश का है। जिसमें एक अदालत ने मात्र 82 रूपयों की लूट में आरोपी को चार साल की सजा और 11 हजार का जुर्माना लगाया है।
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क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले की एक स्थानिय अदालत में एक मामला चल रहा था। यह मामला था 82 रूपयों की लूट का। इस मामले में एक व्यक्ति जिले अमेठी के क्षेत्र जगदीशपुर स्थित वारिसगंज बाजार से अशोक सिंह की दुकान से वर्ष 1985 को 81.90 रूपए रखे झोले को लेकर भाग गया। कुछ ही दूरी पर इस व्यक्ति को पकड़ लिया गया। पुलिस के अनुसार इस व्यक्ति की पहचान कारीडीह गांव के निवासी पांचू के रूप में हुई। इस मामले को सुल्तानपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में चलाया गया। लेकिन इस मामले को चलते-चलते 31 साल लग गए। अब जाकर न्यायाधीश विजय कुमार आजाद ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए पांचू को दोषी करार दिया और उसे चार साल की कैद की सजा और ग्यारह हजार रूपयों का जुर्माना भी लगाया है।
मान लेते है कि इस मामले में आरोपी को देर से ही सही लेकिन सजा मिल ही गई। देश की न्यायव्यवस्था में इतने मामले विचाराधीन हैं कि न्याय मिलते-मिलते देरी हो ही जाती है। लेकिन सवाल यह उठता है कि इतनी देरी से मिलने वाले न्याय को क्या आप सही ठहराएंगे।