यह है प्रभू श्रीराम की बहन का मंदिर, पूजन करने पर मिलता है श्रीराम का आशीर्वाद

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भगवान श्रीराम के बारे में तो सभी जानते हैं, पर उनकी बहन के बारे में कम ही लोग जानकारी रखते हैं। यही कारण है कि आज हम आपको इस बारे में बता रहें हैं। रामायण में इस बात का वर्णन है कि किस प्रकार श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास हुआ था और किस प्रकार सीता हरण हुआ था। इसके बाद कैसे श्रीराम ने वानर सेना का गठन कर रावणवध किया। यह सब आपको विस्तार से रामायण में पढ़ने को मिलता है। साथ ही सामान्यतः भगवान श्रीराम तथा उनके सभी भाइयों के बारे में बताया गया है, लेकिन भगवान श्रीराम की बहन का प्रकरण बहुत कम लोगों को पता है। कई लोग तो यह जानते तक नहीं है कि प्रभू श्रीराम की कोई बहन थी भी या नहीं। आइये आज हम आपको बताते हैं श्रीराम की बहन शांता का पूरा प्रकरण।

देवी शांता थी प्रभू श्रीराम की बहन

प्रभू श्रीरामImage Source: 

सबसे पहले हम आपको बता दें कि भगवान श्रीराम की बहन का नाम “देवी शांता” था। इनके बारे में यह मान्यता है कि इनको बचपन में ही राजा दशरथ ने अंगदेश के महाराज को सौंप दिया था। कहा जाता है कि एक बार अंगदेश से महाराज रोमपद अयोध्या में महाराज दशरथ के पास अपनी पत्नी सहित आये थे। इस दौरान महाराज दशरथ को यह मालूम पड़ा कि उनके कोई बच्चा नहीं है। इस बात से द्रवित होकर महाराज दशरथ ने शांता को राजा रोमपद को सौंप दिया था। राजा रोमपद शांता को पाकर बहुत खुश हुए और उन्होंने शांता को बेटी मान राजा दशरथ से उसे गोद ले लिया और अपने राज्य की ओर प्रस्थान किया। देवी शांता का विवाह श्रृंग ऋषि से हुआ था और वे अपने समय की महान गृहस्थ आध्यात्मिक साधिका थी।

हिमाचल में है देवी शांता का मंदिर

प्रभू श्रीरामImage Source: 

देवी शांता का मंदिर हिमाचल के कुल्लू से करीब 50 किमी की दूरी पर है। इस मंदिर में देवी शांता के साथ में श्रृंग ऋषि की प्रतिमा भी स्थापित है। यहां पर प्रभू श्रीराम के जीवन से जुड़े सभी त्योहारों को बहुत धूमधाम से मनातें हैं। प्रभू श्रीराम का जन्मदिन, दीपावली तथा दशहरा के अवसर पर यहां बहुत भीड़ होती है। इन त्यौहारों को हिमाचल के लोग इस मंदिर में बड़ी संख्या में इकठ्ठा होकर मनाते हैं। इस मंदिर की एक मान्यता यह भी है कि यदि आप यहां देवी शांता का पूजन करता हैं तो उसे प्रभू श्रीराम का आशीष प्राप्त होता है। आप कभी यदि कुल्लू जाएं तो इस मंदिर में जरूर होकर आएं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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