शोध – संस्कृत भाषा बोलने वालों को नहीं होती शुगर की बीमारी, मिलते हैं संस्कार

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संस्कृत भाषा को न सिर्फ सबसे प्राचीन भाषा का दर्जा मिला हुआ है बल्कि इसको देववाणी भी कहा जाता है। संस्कृत भाषा के ऊपर अब तक प्राचीन समय से बहुत से शोध कार्य हो चुके हैं, जिनके परिणाम आज भी लोगों को हैरत में डाल देते हैं। आपको हम बता दें कि आज के वैज्ञानिक भी यह मानते हैं कि संस्कृत भाषा कम्प्यूटर के लिए सबसे सरल तथा बेहतर है, इसी क्रम में छत्तीसगढ़ के स्वामी परमानंद ने संस्कृत भाषा पर किये अपने शोध को लेकर हाल ही में एक नई चीज बताई है। स्वामी परमानंद का कहना है कि संस्कृत भाषा को बोलने वाले व्यक्ति को कभी भी “शुगर” की बीमारी नहीं होती है। आपको हम यहां यह भी बता दें कि स्वामी परमानंद छत्तीसगढ़ के कांकेर स्थित “छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्या मंडल” के अध्यक्ष हैं।

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स्वामी परमानंद ने संस्कृत भाषा के बारे में और भी अधिक जानकारी देते हुए कहा कि “जब हम लोग संस्कृत को बोलते हैं तो कई हमारी तंत्रिकाएं दूसरी तरह से प्रवाहित होती है। उन्होंने ये भी दावा किया कि एक शोध हुआ है जिससे साबित हुआ है कि संस्कृत बोलने वालों को डायबिटीज नहीं होती है।”,स्वामी जी का कहना है कि संस्कृत को आगे बढ़ाने के लिए तथा इसको लोकप्रिय बनाने के लिए जन आंदोलन करना चाहिए तथा लोगों को इस आंदोलन में बड़ी संख्या में हिस्सेदार होना चाहिए ताकि संस्कृत की ओर लोगों का आकर्षण बढ़े। स्वामी जी ने कहा कि संस्कृत भाषा संस्कारों की भाषा है इसलिए जो लोग इसको बोलते हैं वे कभी उद्दंड नहीं हो सकते हैं, इस भाषा को बोलने तथा सुनने वाला सुसंस्कृत बनता चला जाता है। यहां आपको हम बता दें कि स्वामी जी का संस्थान छत्तीगढ़ के कई नक्सली इलाकों में लोगों को संस्कृत की शिक्षा देते हैं ताकि नक्सली मानसिकता की ओर युवक न मुड़े तथा उनमें सुबद्धि आए।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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