देश में शिक्षा का स्तर ग्रामीण इलाकों में बेहद ही खराब स्थिति में है। यहां की स्थिति वैसे तो सरकारी आंकड़ों के अनुसार हर वर्ष अच्छी होती जा रही है, लेकिन सच्चाई के धरातल पर यह आंकड़े कहीं भी सही नहीं प्रतीत होते। यही एक मात्र कारण है कि ग्रामीण इलाकों के जो छात्र अपने उज्जवल भविष्य के लिए सजग हैं, उन्हें गांव छोड़कर शहर की ओर पलायन करना पड़ता है। वहीं, इन सभी के बीच देश का एक गांव अपवाद है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस गांव से ही देश के लिए बड़ी योजनाएं बनाई जाती हैं। यह इसलिए मुमकिन हो पाया है क्योंकि इस एक गांव से ही देश को कई आईएएस, आईपीएस और आईआरएस अधिकारी मिले हैं। इस गांव से सरकारी महकमों के लिए इतने बड़े अधिकारी मिले हैं जितने किसी महानगर से भी नहीं मिल सके। इस कारण ही यह गांव देश की तरक्की और विकास की योजनाओं को बनाने, उसे संचालित करने में अहम भूमिका निभाता है।
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जौनपुर जिले के माधोपट्टी गांव से अभी तक कई सरकारी अधिकारी बन चुके हैं। यह इस गांव के छात्रों की मेहनत का ही असर है कि उन्होंने अपने गांव का नाम देश में रोशन किया है। इस गांव से अभी तक 47 अधिकारी आईएएस बन चुके हैं। ये अधिकारी देश के कई बड़े महकमों में अपनी सेवाएं प्रदान करे रहे हैं। गांव के ये होनहार लोग विश्व बैंक, भाभा और इसरो तक में भी काम कर रहें हैं।
अग्रंजों के जमाने से जुड़ी है यह परंपरा-
इस गांव में आईएएस और आईपीएस जैसे अव्वल दर्जे के नौकरशाह बनने की परंपरा बहुत ही पुरानी है। अंग्रजों के जमाने में सबसे पहले प्रख्यात शायर वामिक जौनपुर के पिता मुस्तफा हुसैन ने वर्ष 1914 में प्रशासनिक सेवा की परीक्षा को पास कर इस परंपरा की नींव को रखा था। इन्होंने पीसीएस अधिकारी की परीक्षा उत्तीर्ण की थी।
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इंदु प्रकाश सिंह ने ग्रामीणों पर डाला विशेष प्रभाव-
वर्ष 1952 में आईएएस की परीक्षा में गांव के इंदु प्रकाश सिंह ने दूसरी रैंक हासिल की। इंदु प्रकाश सिंह के आईएएस में अच्छी रैंक आने के बाद से ही यहां के युवाओं को इस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए प्रोत्साहन मिला। इंदु प्रकाश सिंह विदेशों में बतौर राजदूत रह चुके हैं।
इस तरह के गांव ही अन्य गांव वालों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनते हैं। इस गांव के इतने लोग आईएएस और अन्य प्रशासनिक सेवाओं में हैं, जिससे इन गांव वालों के लिए कहा जाता है कि यह गांव देश के लिए योजनाएं तैयार करता है। साथ ही यह गांव इस बात की भी मिसाल बन गया है कि कड़ी मेहनत और लगन के बल पर असंभव कार्य को भी किया जा सकता है। बस किसी को इस काम की शुरूआत करने के लिए आगे आना होता है और पीछे-पीछे पूरा कारवां अपने आप ही बनता चला जाता है।