अरुणाचल प्रदेश में बसी वांग्चो जनजाति सुदूर के हिस्सों में रहती है। जो आज की दुनिया से बिल्कुल अलग है। यहां के लोग जंगलों में रहने के कारण बाहरी दुनिया से अभी तक नहीं जुड़ पाएं है। वांग्चो जनजाति को लोगों सिर कलम करने वाली जनजाति के नाम से जानते है। ये लोग इंसान का सिर काटकर उसका जश्न मनाते है क्योंकि इनका मानना है कि सिर को काट देने से इनके देवता प्रसन्न हो जाते है और उस साल फसल की पैदावार काफी अच्छे तरीके से होती है। इस परंपरा को निभाने के लिए ये लोग दूसरे गांव पर आक्रमण कर वहां के लोगों का सिर कलम कर देते हैं।
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सिर कलम करने के बाद यो लोग कटे हुए सिर को अपने वांग्चो समुदाय के बीच लाते है। जिसे पानी में उबालकर इसके मांस को अलग किया जाता है। फिर इसके सिर को काफी अच्छी तरीके से तैयार कर अपने घर पर सुरक्षित रख दिया जाता है। कुछ समय के बाद सिर को दफन कर दिया जाता है। सिर कलम कर देने के पांच दिन बाद इस गांव में काफी बड़ा जश्न मनाया जाता है, जिसमें यहां की जनजाति के शरीर में गुदना गोदा जाता है। इसके बाद ये लोग चावल के साथ शराब को पीते हुए खोपड़ी को भी शराब में डूबा देते हैं। पर आज के समय में इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।