पेड़ तो आपने बहुत देखें होंगे पर आज हम आपको एक ऐसे पेड़ के बारे में बता रहें हैं जिसको देखते ही लोगों की आंखे गीली हो जाती है और उनके सिर इस पेड़ के सामने बड़ी श्रद्धा से झुक जाते हैं, पर ऐसा क्यों होता है आइये जानते हैं इस पेड़ के बारे में।
देखा जाए तो बरगद के बहुत से पेड़ जगह-जगह पर होते हैं जो की काफी बड़े भी होते है और इन्हीं में से एक यह पेड़ भी है। आज हम आपको बता रहें हैं एक ऐसे ही पेड़ के बारे में। बरगद का यह पेड़ है मध्य प्रदेश के मंडला जिले में, इस पेड़ को देख कर आज भी लोग सहम जाते हैं और उनके चेहरे पर दुःख की रेखाएं चमकने लगती है। असल में बात यह है कि 1857 में भड़की आजादी की जंग को दबाने के लिए इसी पेड़ पर ही देश के 24 वीरों को फांसी दे दी गई थी। देखा जाए तो इस पेड़ का उपयोग तत्कालीन अंग्रेज सरकार ने कई बार भारत के लिए लड़ने वाले लोगों को फांसी पर लटकाने के लिए किया था। वैसे तो बहुत से वीर इस धरती पर उस समय जन्मे थे पर अधिकांश इतिहास में गुमनाम ही रह गए।
Image Source:
वयोवृद्ध इतिहासकार गिरिजाशंकर अग्रवाल ने मंडला के कई गौड़ राजाओं के इतिहास पर किताबे लिखीं हैं। वे इस बारे में विचार प्रकट करते हुए कहते हैं कि ” जंग-ए-आजादी में मंडला का योगदान किसी से कम नहीं रहा है. रानी दुर्गावती की इस भूमि से हजारों लोगों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आजादी का बिगुल बजाया, जिनमें से कई लोगों के नाम गुमनामी में खो गए.”
आज भी जो कोई इस पेड़ के सामने से गुजरता है उसका सिर श्रद्धा के साथ में झुक जाता है जो की उन वीरों के प्रति श्रधांजलि का प्रतीक होता है।