दुनिया में मौत के बाद अंतिम संस्कार से जुड़ी कई परंपराएं हैं, जो काफी अजीब हैं, जिनमें से बहुत सी परंपराओं में मृत व्यक्ति के शरीर को दफना दिया जाता है, तो कई परम्पराओं में मृत व्यक्ति के शरीर को जला दिया जाता है, इसी प्रकार से कई अन्य परंपराओं में मृत व्यक्ति के शरीर को पेड़ पर खुले आकाश के नीचे टांग दिया जाता है, पर आज हम आपको बहुत ही खतरनाक परंपरा के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं, जिसमें मृत व्यक्ति के शरीर को एक टावर के नीचे रख दिया जाता है और उसके शरीर को चील कौवों का भोजन बना दिया जाता है, आइए जानते हैं इस परंपरा के बारे में।
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चील कौवों को मृत व्यक्ति के शरीर को खिला कर अंतिम संस्कार करने वाली यह परंपरा ईरान केजोरोस्ट्रियन धर्म के लोग मनाते थे, इस धर्म को दुनिया का पहला पारिस्थितिक धर्म माना जाता है। इस धर्म के लोग किसी भी मृत व्यक्ति के शरीर को जलाने से हमेशा बचते हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि इससे प्रदूषण फैलता है, इसलिए ये लोग अपने मृत परिजन के शरीर को एक ऊंचे टावर के ऊपर चील कौवों के खाने के लिए छोड़ देते थे, इस टावर को “दखमा” कहा जाता है। 1970 में इस परंपरा को ईरान में इलीगल घोषित कर दिया गया, पर कहा जाता है कि भारत में आज भी “पारसी” समुदाय के कुछ लोग इस परंपरा को निभाते हैं।