वैज्ञानिक हमेशा ही बहुत दूर की सोचते हैं। जहां आम लोगों की सोच ख़त्म होती है वहीं से वैज्ञानिक सोच का आरम्भ होता है। आज तक जितने भी अविष्कार हुए हैं उनमें वैज्ञानिकों की दूरदृष्टि ने अहम भूमिका निभाई है। इसी बात को सच करते हुए दुनिया के कुछ बेहतरीन वैज्ञानिकों ने मंगल गृह की जलवायु में आलू की खेती करने का निश्चय किया है। यह बात गौर करने वाली है कि उन्हें ऐसा करने के लिए मंगल गृह की जलवायु की जरूरत है, लेकिन इस काम को वह धरती पर रह कर ही मंगल ग्रह जैसी परिस्थितियों के बीच करेंगे।
नासा के शोध सहयोगी जूलियो ई-वालडिविया-डिसिल्वा के अनुसार ‘मैं मंगल पर आलू और अन्य चीजें उगाने के लिए बेकरार हूं। इसके लिए हमने धरती पर ही ऐसे इलाके को चुना है जिसे नकली मंगल कहा जा सकता है।’ यह काम नासा और इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर (सीआईपी) पेरू के नेतृत्व में किया जायेगा।
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धरती पर मंगल जैसी परिस्थिति के लिए वैज्ञानिकों ने पेरू का ‘पंपास डी ला जोया’ रेगिस्तान चुना है, क्योंकि यह मंगल ग्रह से मिलती-जुलती मिट्टी के लिए जाना जाता है। यहां आलू को उगाने के लिए प्रयोगशाला में मंगल ग्रह की तरह ही वातावरण तैयार किया गया है। मंगल ग्रह के वातावरण में करीब 95 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड है इसलिए कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में वृद्धि से इस फसल को फायदा मिला। मंगल के समान वातावरण में तैयार होने वाला आलू कई गुणों से भी भरपूर होगा। यह विटामिन सी, लौह और जिंक जैसे तत्वों का अच्छा स्रोत होगा।
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इस रिसर्च से अगर भविष्य में कभी हम मंगल गृह पर इंसानी बस्तियां कायम करने में सफल हुए तो इस तकनीक की मदद से वहां भी आलू की खेती कर पाएंगे। इससे वहां भोजन तैयार करने की योजना जल्दी ही पूरी होगी। साथ ही वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर वह मंगल जैसी कठिन परिस्थिति में आलू की खेती कर पाए तो इसका मतलब वह धरती पर खेती को और भी अच्छे व उपजाऊ ढंग से कर पाएंगे।