आज जितने भी मत और सम्प्रदाय दुनिया में चल रहे हैं उनमें से अधिकतर में नर्क और स्वर्ग की अवधारणाएं कहीं न कहीं मौजूद हैं। इन अवधारणाओं को आज भी बहुत से लोग मानते हैं और इनके अनुसार भिन्न-भिन्न कार्य करते नज़र आते हैं। यह कहा जा सकता है कि प्रत्येक मत में नर्क और स्वर्ग का वर्णन उस मत के चलने के समय की भाषा के अनुसार ही हुआ है। यानि कि जैसे हिन्दू धर्म में इन स्थानों को स्वर्ग और नर्क कहा जाता है, वैसे ही इस्लाम में इन स्थानों को जन्नत और जहन्नुम कहा जाता है। इस प्रकार से देखने पर पता लगता है कि परिवर्तन सिर्फ भाषा का है, न कि मान्यता का। जिस तरह भारतीय पौराणिक साहित्य और इस्लामी साहित्य में स्वर्ग और नर्क का विवरण है, उसी तरह ग्रीक और रोमन मैथॉलॉजी में भी स्वर्ग और नर्क का विवरण मिलता है। खास बात यह है कि ग्रीक और रोमन पौराणिक साहित्य में जिस ‘नर्क’ का विवरण मिलता है, उसे आखिर खोज ही लिया गया है।
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कहां और कैसा है नरक का द्वार-
नर्क का यह दरवाज़ा तुर्की में मिला। ऐसा कहा जाता है कि यहां दो संरक्षक हुआ करते थे, जो लोगों को यहां न आने की चेतावनी देते थे। ये संरक्षक मूर्तियों के रूप में आज भी वहां हैं। यहां खुदाई करने पर एक गर्म झरने के स्रोत का भी पता चला था। यहां से सफेद विषैला धुआं निकलता है और यह धुआं इतना घातक है कि इसके संपर्क में आते ही मौत हो जाती है। इस गुफा के अंदर का स्थान इतना प्रदूषण भरा है कि इसकी सतह दिखाई नहीं देती है। इस प्राचीन खंडहर और जहरीली गुफा को यूनानी मिथकों में नर्क का द्वार या पाताल में जाने का रास्ता बताया गया है। इस जगह के बारे में कहा जाता था कि जो भी यहां आया उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।
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क्या है रहस्य-
यूनानी मिथकों की बात करें तो प्लूटो यानी हेडीज को पाताल का देवता बताया गया था, जहां आत्माओं का राज चलता है। पुरातत्वविद फ्रांसेस्को डे एंड्रिया ने अपनी खोज के बारे में बताते हुए कहा है कि हमें एक मंदिर और स्नानागार के अवशेष मिले, जिनका इस्तेमाल प्राचीनकाल में तीर्थयात्री करते होंगे। इसके नजदीक मौजूद गुफा के खतरनाक होने का पता हमें उस वक्त चला जब उसके पास से उड़ान भरते पक्षियों को बेहोश होकर जमीन पर गिरते और दम तोड़ते पाया गया। इसके अंदर से गर्म कार्बन-डाईऑक्साइड गैस का रिसाव हो रहा था।
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हालांकि वैज्ञानिकों ने कहा कि आधुनिक काल में इस तरह के मिथकों के लिए कोई जगह नहीं है। विज्ञान बता सकता है कि पृथ्वी की सतह में बहुत सी जगहों पर ऐसी दरारें मौजूद हैं जहां से कार्बन डाईऑक्साइड गैस का रिसाव होता है।
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इस प्रकार से देखा जाए तो यह नर्क का द्वार ही नज़र आता है। इसके साथ कुछ यूनानी मिथक भी जुड़े हुए हैं जो इसकी सत्यता को कहीं न कहीं प्रमाणित करते नज़र आते हैं, लेकिन जिस प्रकार से प्रत्येक घटना का कोई न कोई कारण होता है उसी प्रकार से इस नरक द्वार का कारण भी जरूर होगा। बस जरूरत है वैज्ञानिकता से खोज करने की ताकि वास्तिविकता लोगों को पता लग सके।