निरंकारी समुदाय के प्रमुख बाबा हरदेव सिंह की शुक्रवार को कनाडा में एक सड़क हादसे में मौत हो गई है। हादसे के वक्त बाबा हरदेव सिंह के एक रिश्तेदार गाड़ी चला रहे थे। हादसे के बाद उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई। दुर्घटना की जानकारी मिलते ही देश, विदेश में रह रहे उनके अनुयायी शोक में डूब गये। बाबा हरदेव सिंह संत निरंकारी मिशन के प्रमुख थे, जो लोगों के बीच धर्म और ज्ञान के प्रकाश को प्रज्जवलित करने के लिए जाने जाते थे।
बाबा हरदेव सिंह का जन्म 23 फरवरी 1954 को सन्त निरंकारी कॉलोनी दिल्ली में हुआ था। उनके पिता का नाम बाबा गुरबचन सिंह एवं माता का नाम कुलवंत कौर था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा दिल्ली के रेडियो कालोनी स्थित रोजरी स्कूल में पूरी हुई थी। इसके बाद की पढ़ाई उन्होंने पटियाला के यादवेन्द्र पब्लिक स्कूल में प्रवेश लेकर पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।
अपने अद्भुत ज्ञान और सहज स्वभाव के कारण इनके 1 करोड़ से भी ज़्यादा भक्त हैं। दुनिया भर के 27 देशों में निरंकारी मिशन की स्थापना कर ये सभी भक्तों से पूर्ण रूप से जुड़े हुए थे। संत निरंकारी मिशन का मुख्यालय दिल्ली में स्थित है।
निरंकारी समुदाय के प्रमुख बाबा हरदेव सिंह की कनाडा में सड़क हादसे में मौत की खबर ने उनके भक्तों को हिला कर रख दिया। बाबा हरदेव सिंह का मानना था कि ईश्वर एक है और उसके द्वारा बनाये गये बंदों में भी कोई भेदभाव नहीं है। हम सब एक ही ईश्वर के द्वारा बनाये गये इंसान हैं, जिनके बीच किसी भी प्रकार का द्वेश ना रहकर प्रेम भाव के साथ एक जुट होकर रहना चाहिये। इसी का संदेश फैलाते हुये वो अपने अनुयायिओं के बीच भगवान का रूप बन चुके थे।
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रावलपिंडी में हुई थी निरंकारी समुदाय की उत्पत्ति
देश विदेश में फैल चुके निरंकारी समुदाय की उत्पत्ति पंजाब के उत्तर-पश्चिम में बसे रावलपिंडी से हुई थी, जो अब पाकिस्तान के हिस्से में आता है। इस समुदाय की स्थापना एक स्वर्ण व्यापारी और सहजधारी सिख बाबा दयाल सिंह के द्वारा की गई थी। ब्रिटिश राज्य के समय में इस समुदाय को अलग कर दिया गया था, जो बाद में जाकर सन् 1929 में संत निरंकारी मिशन के रूप में स्थापित हुआ। आज के समय में इसकी ख्याति इतनी फैल चुकी है कि इस समुदाय के करोड़ों अनुयायी भारत से लेकर विदेशों में तक में बन गये हैं।