अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो, तो इंसान पत्थरों से भी पानी को निकाल सकता है। इस बात को सही साबित किया एक ऐसे इंसान ने जिनके पास सिर्फ सपने ही थे, क्योंकि वो शरीर से पूरी तरह विकलांग थे। उन्होंने इस विकलांगता को भी अपने मार्ग का रोढ़ा नहीं बनने दिया। अपने बुलंद हौसले के दम पर उन्होंने वो कर दिखाया जो हम जैसे लोग भी नहीं कर पाए। इस शख्स के बारे में जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे।
Image Source:
मेलबर्न के रहने वाले 32 वर्षीय निक वुजिसिक जिनके बचपन से ही हाथ और पैर नहीं है, इसके बावजूद भी आज वो अपनी काबलियत के दम पर मोटीवेशनल स्पीकर, लेखक, लघु फिल्मों के अभिनेता है। जन्म से ही उनके हाथ-पैर अविकसित होने के कारण मार्ग में कई बार बाधाएं आई, पर उन्होंने अपनी जिंदगी से हार नहीं मानी और आगे बढ़ने का हौंसला नहीं छोड़ा। यही बुंलद हौसलें ने उन्हें जिंदगी जीने का जज्बा और मुश्किलों से लड़ना सिखाया। जिसके चलते वो आज दुनिया के जाने-माने मोटीवेशनल स्पीकर के रूप में जाने जाते है। अपनी कलम की ताकत से उन्होनें अब तक लाखों लोगों की जिंदगी बदल दी।
Image Source:
निक ने अपने नाम कई रिकॉर्ड दर्ज कराए हैं। इसके अलावा उन्हें गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड से भी नवाजा गया है। आज के समय मे वो अमरीका के सबसे महंगे लेखकों में से एक माने जाते हैं। उनकी लिखी किताबें बेस्ट सेलर रह चुकी हैं।
बताया जाता है कि टेट्रा अमेलिया सिंड्रोम नामक घातक बीमारी निक वुजिसिक को जन्म के वक्त से ही थी। जिसके इलाज के लिए काफी पैसा लगाया, पर इससे कोई फायदा नहीं हुआ। हाथ पैर विकसित ना होने के कारण उनका तलवा जाघों से सटा हुआ है। वो जैसे-जैसे बड़े हुए तो शारीरिक तकलीफे भी बढ़ने लगी। जिससे परेशान होकर एक दिन उन्होंने आत्महत्या करने की भी कोशिश की थी। इसके बाद एक ईसाई गुरु के दिए गये उपदेशों को सुनकर उन्हें धर्मसिद्धांत का ज्ञान प्राप्त हुआ और जीने की उम्मीदे जागी। इसके बाद उनकी यह अपंगता उनकी मजबूरी नहीं बल्कि आगे बढ़ने की राह बनी।
कार चलाना, तैराकी करना पसंद
एक सामान्य व्यक्ति कि तरह निक वुजिसिक अपने सारे काम खुद ही करते है। उन्हें तैराकी करना, फुटबॉल खेलना और कार चलाना बेहद पसंद है। अपने छोटे-छोटे पैरों से शरीर का संतुलन बनाने का काम करते है।
स्टेडियम में नहीं मिलती सीट
निक वुजिसिक आज के समय अपने देश में ही नहीं बल्कि दूर देशों में मोटीवेशनल स्पीच के अच्छे वक्ता के रूप में जाने जाते है। उनकी स्पीच सुनने के लिए लोग दूर देश से आते हैं, जब किसी स्टेडियम में उनका कार्यक्रम होता है तो वहां पहुंची भीड़ के कारण लोगों को बैठने के लिए जगह तक नहीं मिल पाती है। ऐसे में हजारों लोग खड़े होकर उनकी स्पीच सुनते हैं।