पाकिस्तान आज भी भारत को हिन्दू राष्ट्र कह कर उसके कट्टरवादी होने का आरोप लगाता है वहीं भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद भारत की हदबंदी में आई बहुत सी मस्जिदों में आज भी राम और कृष्ण का नाम गूंजता सुना जा सकता है जो की पाकिस्तान के नापाक शब्दों का जबाव है। आज हम आपको इन्हीं मस्जिदों से रूबरू करा रहें हैं जो हिन्दू और मुस्लिम एकता की मिसाल वर्षों से बनी हुई हैं। आइए जानते हैं इन मस्जिदों के बारे में हमारे इस आलेख में।
असल में भारत और पाकिस्तान विभाजन के बाद में सीमा पर बसे बहुत से मुस्लिम लोग ने पाकिस्तान की ओर रुख कर लिया था, जिसके बाद में भारत की हदबंदी के बाद उनकी मस्जिदें और घर यहीं के यहीं रह गए, सुनसान और अकेले। इन मस्जिदों में फिर से उस समय प्राणों का संचार हुआ जब भारत के कुछ लोगों का ध्यान इस ओर गया और इन मस्जिदों की मर्यादा के अनुरूप ही इन लोगों फिर से इनमें रौनक ला दी। समाज के इन लोगों द्वारा खाली पड़ी इन मस्जिदों को सर्वधर्म समभाव के उद्देश्य से फिर से तैयार किया गया और इनमें सभी धर्मों से प्रमुख चिन्हों को रखा गया। इस प्रकार से ये मस्जिदें वर्तमान में हिन्दू सहित अन्य सभी धर्मों के मिलान का प्रतीक बनी हुई हैं।
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इसी प्रकार की एक मस्जिद पंजाब प्रदेश के जिला फाजिल्का में स्थित पंजावा मांडल गावं में है, इस मस्जिद में रोज रामायण तथा गीता आदि का पाठ होता है, जानकारी के लिए आपको बता दें कि यह गांव भारत-पाक सीमा पर बसा आखरी गांव था और विभाजन के बाद में इस गांव के सभी मुस्लिम पाकिस्तान का रुख कर गए थे। जिसके बाद में उनकी यहां स्थित सभी मस्जिदें और घर आदि सुनसान ही रह गए थे, बाद में भारत के कुछ लोगों ने इन इमारतों और गांवों को फिर से बसना शुरू किया और खाली पड़ी मस्जिदों की बेअदबी न हों तथा इनको गिराई न जाए इसलिए इन मस्जिदों में अपने धर्म के ग्रंथों और अन्य चिन्हों को भी रख दिया। वर्तमान में ऐसी कई मस्जिदें सीमा पर बसे गांवों में देखी जा सकती है जो की सर्वधर्म समभाव का सन्देश दे रही हैं।