अंतरिक्ष में घटित होने वाली कई गतिवधियों के रहस्यों को जान पाना बेहद ही जटिल है, इन्हीं रहस्यों में छिपा है एक ऐसा राज जिसे जानने के लिए वैज्ञानिक भी हैरान और परेशान थी। अंतरिक्ष के वैज्ञानिकों को सौरमंडल में दिखने वाली एक रोशनी उन्हें कई प्रश्नों के संकेत दे रही हैं साथ ही परेशान भी कर रही है। जिसकी गहरी खोजबीन करने के बाद आखिर वो इस निष्कर्ष पर पहुंच ही गए कि ये रोशनी कहां से आ रही है।
image source;
दरअसल, बीते 10 वर्षों से आसमान को चीरते हुए पृथ्वी की ओर आती एक तीव्र रोशनी ने सभी खगोलशास्त्रियों की रात की नींद उड़ा रखी थी। बार-बार दिखने वाली ये तेज रोशनी मात्र कुछ क्षणों में दिखने के बाद तुंरत ही ओझल हो जाती थी। जिसे देख लगता था कि यह किसी बात का संकेत पृथ्वी तक पहुंचाने का काम कर रही हो, 2007 में शोधकर्ताओं ने इसमें पाया कि जैसे कोई इस रोशनी के माध्यम से किसी को आवाज दे रहा हो या कोई किसी कोड के द्वारा धरती वालों को किसी तरह के सकेंत दे रहा हो।
हालांकि वैज्ञानिकों ने एक विशेष प्रकार के टेलीस्कोप में कैद कर इस रहस्य को खोज निकाला। जिससे यह बात साबित हुई है कि दिव्य रोशनी एसआरबी यानी कि फास्ट रेडियो बर्स्ट (एक तरह की रेडियो लाइट) से आती थी। ये एक रेडियो सिग्नल है जो कुछ मिलीसेकेंड का होता है।सालों से आ रही एफआरबी वैज्ञानिकों के लिए एक अबूझ पहेली बन कर रह गई थी। फिर 2 नवंबर 2012 को प्यूर्टो रिको ऑब्जर्वेट्री में देखें गए सिग्नलों ने वैज्ञानिकों को अचंभे में डाल दिया। इस रहस्य की खोज कर रहें सेटी ने उस पूरी जानकारी का पता लगाने के लिए पृथ्वी से करीब 94 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित एक सितारे पर अपने उपकरण लगा दिए। एक रूसी टेलीस्कोप ने जिस सितारे के सिग्नल कैद किए थे। वो हमारी पृथ्वी से इतनी दूरी पर है कि जो सिग्नल हमें अब मिल रहे हैं वो भी साल 1922 में यानी अब से 94 साल पहले के होंगे।
वैज्ञानिकों के अनुसार जब कभी हमारे सौरमंडल को इतने जोरदार सिग्नल किसी दूसरी जगह से आने लगते है तो ब्रह्मांड में दूसरी छिपी सभ्यताओं के बारे में बल मिलने लगता है। हालांकि वैज्ञानिक इस बात को एलियंस के होने के वजूद से जोड़कर देखने पर सीधे तौर पर नकार दिया हैं। उनका मानना है कि शायद ये मिलने वाले सिग्नल सितारों में से निकल रही ऊर्जा का कारण भी हो सकते हैं। इन सभी प्रकार की घटनाओं को देखते हुए सेन फ्रांसिस्को जगह की मेटी नामक संस्था यानी (मैसेजिंग एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस) की टीम ने साल 2018 में अंतरिक्ष में ‘हेलो’ सिग्नल्स को भेजने का फैसला कर लिया है। ये सिगनल का उद्देश्य है कि यदि पृथ्वी के बाहर कोई दूसरी जिंदगी है तो वो हमसे सम्पर्क कर सके, हमे सुन सके और हमारी लोकेशन जानकर हमसे आकर मिल सके।