मुस्लिम लोगों ने बांस के डंडों से बनाई 100 फिट ऊंची दुर्गा प्रतिमा, देख कर लोग भी हैरान

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अपने देश को विभिन्न धर्मों का संग्रहालय माना जाता है। यहां अक्सर एक धर्म के लोग दूसरे धर्म के कार्य में अपना हाथ जरूर बंटाते हैं। हाल ही में नवरात्र के अवसर पर मुस्लिम लोगों द्वारा देवी दुर्गा की 100 फिट ऊँची प्रतिमा बनाई गई है। मुस्लिम समाज के कई कारीगरों ने इस प्रतिमा को तैयार किया है। 100 फिट की यह प्रतिमा 5 हजार बांस के डंडों से निर्मित की गई। इस प्रतिमा को बड़े ही कलात्मक ढंग से तैयार किया गया है। जिस वजह से देखने में यह प्रतिमा बेहद सुंदर और अदभुत लग रही है। यही कारण है कि इस प्रतिमा को दूर दूर से लोग देखने के लिए आ रहें हैं। जैसा की आप जानते ही हैं कि नवरात्र में दुर्गा पूजा को बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। इसी के मद्देनजर इस वर्ष गुवाहटी में एक 100 फिट ऊँची दुर्गा प्रतिमा बनाई गई है। इस प्रतिमा की ख़ास बात यह है कि इस प्रतिमा को बनाने में 5 हजार बांस के डंडे लगे हैं यानि यह प्रतिमा सीमेंट और पत्थर से निर्मित नहीं हुई है बल्कि बांस के डंडों से बनाई गई है।

दुर्गाImage Source:

इस दुर्गा प्रतिमा के आर्ट डायरेक्टर नुरद्दीन अहमद हैं जो की 59 वर्ष के हैं। आपको बता दें कि नुरद्दीन अहमद अब तक 200 से ज्यादा प्रतिमाएं निर्मित कर चुके हैं। नुरद्दीन अहमद इस दुर्गा प्रतिमा के बारे में बताते हैं कि “पिछले वर्ष इस स्थान पर ही हम लोगों में 86 फुट ऊंची दुर्गा प्रतिमा बनाई थी। इसलिए इस बार उन्होंने सोचा कि क्यों न इस बार 100 फिट की प्रतिमा तैयार की जाएं।”, बता दें की इस प्रतिमा को बनाने में 15 लाख रूपए खर्च हुए हैं तथा 50 लोगों की मेहनत लगी है। विष्णुपुर दुर्गा पूजा समिति के सचिव पिवाश कांती देव इस प्रतिमा के बारे में कहते हैं कि हमको काफी लोगों की अच्छी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं और सोशल मीडिया पर भी काफी लोग इस प्रतिमा की तस्वीरें शेयर कर रहें हैं। इस प्रतिमा के कारीगर दीप अहमद बताते हैं कि “जब इस दुर्गा प्रतिमा का काम 80 प्रतिशत पूरा हो गया था तब अचानक यहां तूफ़ान आ गया था और इस तूफ़ान के कारण दुर्गा प्रतिमा को काफी ज्यादा हानि हुई थी। हम लोगों ने इस प्रतिमा को फिर से पूरा तैयार किया।”, इस प्रकार से यह दुर्गा प्रतिमा इस वर्ष के नवरात्रों में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का संदेश दे रही है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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