क्या आपने कभी मंदिर में सफेद टोपी लगाए पुरुष या बुरखा पहनी महिला को प्रसाद चढ़ाते देखा है? हम जानते हैं कि ये सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा है कि मुस्लिम मंदिर में क्यों आएंगे? लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर से रूबरू कराएंगे जहां मुस्लिम समुदाय के लोग प्रसाद चढ़ाते हैं। दक्षिण भारत में ‘युगादी’ नाम का एक खास त्योहार मनाया जाता है, जहां आप इस नजारे को अपनी खुली आंखों से देख सकते हैं।
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आपको बता दें कि युगादी नाम का त्योहार तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में जोरों-शोरों से मनाया जाता है। इस उत्सव में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दौरान हिंदू के साथ-साथ मुस्लिम भाई, बहन भी मंदिरों में पूजा करते और प्रसाद लेते देखे जाते हैं। ये युगादी उत्सव हिंदू-मुस्लिम एकता के मामले में दुनिया भर के लिए बेहतरीन मिसाल है। इस पर्व में लोग लाइन से कड़प्पा मंदिर में प्रसाद लेने आते हैं। आपको जान कर खुशी होगी कि इस पर्व में मुसलमान भाई-बहन की शिरकत से हिंदुओं को भी कोई आपत्ति नहीं है बल्कि वो चाहते हैं कि ये त्योहार देश के सभी नागरिकों के लिए आदर्श बने।
आपको बता दें कि ये त्योहार दक्षिण में नया साल ‘उगादि’ के रूप में मनाया जाता है, तो दूसरी तरफ महाराष्ट्र में इसे ‘गुणी पड़वा’ के नाम से मनाया जाता है। उत्तर भारत में लोग इस त्योहार को नवरात्रि के रूप में मनाते दिखाई देते हैं। इस दिन की ये मान्यता है कि गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक के दिन, वर्ष और महीने की गणना करते हुए ‘पंचांग’ की रचना की थी।